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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के  मध्य में रहा सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक चुनाव का तो बहरहाल फैसला हो ही गया। जेडीएस ने वहां कांग्रेस की मदद से अपनी सरकार बनाई। इस चुनाव के पल पल बदलते रूप से तो ऐसा लग रहा था की फैसला हो ही नहीं पायेगा। काफी जद्दोजहद के बाद सरकार तो बनी लेकिन इन सब के बीच फंसी सुप्रीम कोर्ट। जहां चुनाव के पहले सरकार से जुड़े फैसले को लेकर 16-17 मई  को उच्चतम न्यायालय ने आधी रात में तत्काल सुनवाई के लिए आधी रात को  कार्यवाही शुरू की गई। 17 मई  को लगभग दो बजकर ग्यारह मिनट पर सुनवाई शुरू हुई और सुबह पांच बजकर अट्ठाइस मिनट पर खत्म हुई।

न्यायालय ने शपथग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार किया। और कांग्रेस और जेडीएस को ये बताया गया कि सरकार बीजेपी की ही बनेगी। इस फैसले के बाद भी सियासी घमासान जारी रहा।

इसी घमसान के बीच ही येदियुरप्पा ने सीएम पद के लिए शपथ लिया। इनका मुख्यमंत्री बनना अन्य पार्टियों को गवारा नहीं हुआ। उन्होंने बहुमत साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और राज्यपाल के प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के फैसले को चुनौती दे दी। साथ ही बीजेपी को सरकार बनने के फैसलों को नियम विरूद्ध बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को देखते हुए 28 घंटे की दोबारा मोहलत दी। जिसका फैसला 19 मई को हुआ। जहां बीजेपी यानी येदियुरप्पा सरकार के सामने बहुमत साबित करने की अग्नि परीक्षा हुई। वहीं कांग्रेस और जेडीएस के सामने अपने विधायकों को टूटने से बचाने की चुनौती रही।

येदियुरप्पा ने कहा

इस फ्लोर टेस्ट के बाद येदियुरप्पा ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वास मत का सामना नहीं करूंगा, मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं।’

इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने अपना बयान देते हुए कहा कि जीत जनता की हुई है।और इस हार से बीजेपी को सबक लेना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने मामले की गम्भीरता और लोकतंत्र की गरिमा बनाये रखने के लिए इस मामले में अपना पूरा सहयोग दिया और सरकार बनाने में मदद की। अब जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी सीएम पद के लिए शपथ लेंगे।

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