गुजरात में पर्दे के पीछे भले ही नेतृत्व परिवर्तन की कवायद चल रही हो, मगर सामने से शायद ही किसी को इस बात की भनक रही हो कि भारतीय जनता पार्टी इतनी जल्दी विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला ले लेगी। बहरहाल, विजय रूपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और अब गुजरात की कमान किसके हाथों में होगी, इस पर आज फैसला होने की उम्मीद है। विजय रूपाणी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए गुजरात भाजपा विधायक दल की आज यानी रविवार को बैठक होने की संभावना है। इस बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर कई नाम रेस में सामने आ रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता यमल व्यास ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ विधायक दल की बैठक में शामिल हो सकते हैं। व्यास ने यहां पार्टी मुख्यालय कमलम में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव सहित वरिष्ठ नेताओं के साथ एक बैठक के बाद संवाददाताओं से यह कहा। व्यास ने कहा , ‘भाजपा विधायक दल की रविवार को बैठक होने की संभावना है, लेकिन (पार्टी के) केंद्रीय संसदीय बोर्ड द्वारा बैठक के सटीक समय से हमें अवगत कराये जाने के बाद ही हम इसकी पुष्टि कर सकेंगे। भाजपा के सभी विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि बैठक में नये मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला होगा।

इस बीच, संतोष और यादव ने पार्टी के प्रदेश इकाई प्रमुख सी आर पाटिल, उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा व प्रदीप सिंह जाडेजा, प्रदेश भाजपा महासचिव प्रदीप सिंह वाघेला और राजूभाई पटेल तथा विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पंकज देसाई सहित गुजरात भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। बता दें कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से करीब साल भर पहले अचानक से हुए एक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री रूपाणी ने शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया।

इधर, विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद गुजरात के नए मुख्यमंत्री को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। इनमें उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, राज्य के कृषि मंत्री आर सी फल्दू और केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला एवं मनसुख मांडविया के नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं। रूपाणी के इस्तीफे के बाद नितिन पटेल को अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग सोशल मीडिया पर जोरशोर से शुरू हो गई। वहीं, पटेल की तरह ही प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया को भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे माना जा रहा है। समुदाय के नेताओं ने हाल ही में यह मांग की थी कि अगला मुख्यमंत्री एक पाटीदार (समुदाय से) होना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कौन-कौन हैं रेस में।

नितिन पटेल :
नितिन पटेल वर्तमान में गुजरात के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। वह गुजरात सरकार में साल 2001 में वित्त मंत्री बनाया गया था। पटेल छह बार के विधायक हैं और तीन दशक का उनका राजनीतिक करियर है। 1990 में पहली बार गुजरात विधानसभा से विधायक बने थे। नितिन पटेल उत्तरी गुजरात के रहने वाले हैं। आनंदीबेन पटेल ने जब अगस्त 2016 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब यह कहा जा रहा था कि पटेल उनके उत्तराधिकारी होंगे, लेकिन आखिरी क्षणों में लिए गए एक फैसले में रूपाणी को इस शीर्ष पद के लिए चुन लिया गया।

मनसुख मांडविया :
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में आगे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि वे प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमित शाह की गुड बुक में हैं। कोरोना महामारी के दौरान मांडविया ने गुजरात भाजपा सरकार की छवि सुधारने के लिए काफी काम किया था। वहीं, पाटीदार समाज के अलावा कडवा और लेउआ पटेल समुदाय में भी उनकी अच्छी पैठ है। मृदुभाषी होने के साथ-साथ मांडविया की छवि एक ईमानदार नेता की है। इनके अलावा गुजरात भाजपा में उनके लगभग सभी नेताओं से अच्छे संबंध हैं।

पुरुषोत्तम रुपाला
पाटीदार समुदाय से पुरुषोत्तम रुपाला भी दमदार नेता हैं। इस वक्त वह केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी मंत्री के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी संभाल रहे हैं। 1980 के दशक में उन्‍होंने भाजपा के साथ अपना राजनीति करियर शुरू किया था। 1991 में वो अमरेली विधानसभा से चुनाव जीता। वो तीन बार इस सीट से विधायक रहे हैं।

सीआर पाटिल :
सीआर पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वनीय माने जाते हैं। अपने संसदीय क्षेत्र में विकास के कार्यों को बढ़ाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने में माहिर है। गुजरात भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले 281 सदस्‍यों वाली जंबो कार्यकारिणी का गठन किया है। इसकी जिम्मेदारी सीआर पाटिल के कंधों पर ही है।

गोरधन झडफिया :
गोरधन जडफिया भी गुजरात भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। एक बार नरेंद्र मोदी से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी हालांकि बाद में वह पार्टी में लौटे। उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। तब उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया था। 2002 दंगों के समय झडफिया तत्कालीन राज्य सरकार में गृह राज्यमंत्री थे।

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