सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज यानी 3 अगस्त दिन मंगलवार को है। सावन का सोमवार जहां भगवान शंकर को समर्पित होता है, वहीं सावन मास का मंगलवार मां मंगला गौरी को प्रिय है। इस दिन माता पार्वती की माता मंगला गौरी स्वरूप के लिए व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि माता गौरी की कृपा से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।

मंगला गौरी व्रत का विधान-

मां मंगला गौरी अखंड सौभाग्य, सुखी और मंगल वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि संतान और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना के लिए मां मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में एक बार भोजन कर माता पार्वती की अराधना की जाती है। ये व्रत सुहागिनों के लिए विशेष होता है।

मंगला गौरी पूजा विधि-

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें।
निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें।
इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की अराधना करनी चाहिए।
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
अब विधि-विधान से माता पार्वती की पूजा करें।

इन मुहूर्त में ना करें पूजा-

राहुकाल- दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक।
यमगंड- सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक।
गुलिक काल- दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक।
दुर्मुहूर्त काल- सुबह 08 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगा इसके बाद मध्य रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से 12 बजकर 06 मिनट तक।
भद्राकाल- सुबह 05 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 59 मिनट तक।

मंगला गौरी व्रत कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में धर्मपाल नामक एक सेठ था। वह भोलेनाथ का सच्चा भक्त था। उसके पैसों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसके कोई पुत्र न होने के कारण वह परेशान रहता था। कुछ समय बाद महादेव की कृपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। लेकिन ये पहले से तय था कि 16 वर्ष की अवस्था में उस बच्चे की सांप के काटने से मृत्यु हो जाएगी। सेठ धर्मपाल ने अपने बेटे की शादी 16 वर्ष की अवस्था के पहले ही कर दी। जिस युवती से उसकी शादी हुई. वो पहले से मंगला गौरी का व्रत करती थी। व्रत के फल स्वरूप उस महिला की पुत्री के जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था. मंगला गौरी के व्रत के प्रभाव से धर्मपाल के पुत्र के सिर से उसकी मृत्यु का साया हट गया और उसकी आयु 100 वर्ष हो गई। इसके बाद दोनों पति पत्नी ने खुशी-खुशी पूरा जीवन व्यतीत किया।

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