2000 रुपये तक का डिजिटल लेनदेन होगा निशुल्क

thebiharnews-in-digital-transaction-up-to-rs-2000-will-be-cheap-government-will-pay-the-feeडिजिटल भुगतान को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को 2000 रुपये तक डेबिट कार्ड, भीम, यूपीआई और आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) से लेनदेन को निशुल्क कर दिया है।

सरकार ने डिजिटल देनदेन को बढ़ावा देने के लिए 2,000 रुपये तक के डिजिटल लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को खत्म कर दिया है। सरकार दो साल तक इसका खर्च उठाएगी। यह सुविधा 1 जनवरी, 2018 से प्रभाव में आएगी। शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस फैसले पर मुहर लगाई।

सरकार करेगी भुगतान

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल लेनदेन को बढावा देने के लिए सरकार बैंकों और व्यापारियों को MDR का भुगतान करेगी। डेबिट कार्ड, आधार के जरिए भुगतान, यूपीआई (भीम ऐप) से भुगतान करने पर सरकार यह राशि वापस करेगी। हालांकि, इस फैसले से सरकारी खजाने पर 2,512 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा।

डिजिटल को दम

सरकार के प्रोस्ताहन से डिजिटल देन में जोरदार तेजी आई है। अप्रैल से सितंबर 2017 में केवल डेबिट कार्ड से 2.18 लाख करोड़ का डिजिटल लेनदेन हुआ है। इस हिसाब से इस वित्त वर्ष के अंत तक यह 4.37 लाख करोड़ हो जाएगा।

अभी कितना है MDR

2012 से भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के डेबिट कार्ड लेनदेन पर 0.75 फीसदी MDR तय कर रखा है,।जबकि 2,000 से ऊपर के लेनदेन पर एक फीसदी MDR है। हाल ही में रिजर्व बैंक ने MDR दरों में बदलाव किया है, जो 1 जनवरी 2018 से लागू होगा। नए नियम के मुताबिक 20 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार वाले छोटे कारोबारी के लिए MDR शुल्क 0.40 प्रतिशत होगा और जिसमें प्रति सौदा शुल्क की सीमा 200 रुपये है। 20 लाख से अधिक का कारोबार है तो तो MDR 0.90 प्रतिशत देना होगा। इसमें प्रति लेनदेन 1,000 रुपये शुल्क की सीमा है।

क्या है MDR

मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह कमिशन होता है जो प्रत्येक कार्ड लेनदेन सेवा के लिए दुकानदार बैंक को देता है। कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए पॉइंट ऑफ सेल मशीन (पीओएसस) बैंक के द्वारा लगाई जाती है। इस शुल्क के कारण ही दुकानदार कार्ड से पेमेंट पर हिचकते हैं। MDR को रिजर्व बैंक तय करता है।

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