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आजादी के 70 सालों बाद भी मौलिक समस्याओं से जूझता भारत

हमारा भारत इस साल 72 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। अंग्रजों की गुलामी की हथकड़ियों को तोड़ने में 300 सालों से भी ज्यादा का समय लगा है। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ और तब से ही देश का हर नागरिक इस आज़ादी के किरण को अपने आंखों से देख पाया है। इस स्वतंत्रता को हासिल करने के लिए हमने ना जाने कितने वीरो की शहादत दी हैं। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, तात्या टोपे, लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक जैसे महान आत्माओं को खोना पड़ा। लेकिन, ये कहना गलत नही होगा कि 300 साल पहले हम गुलाम थे अंग्रेज़ो के लेकिन अब हम गुलाम है भुखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी, आतंकवाद और गरीबी के।

हमें आज से 70 साल पहले जीने की आजादी तो मिल गई लेकिन इतने सालों बाद भी हमें गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी, आतंकवाद, जैसी मौलिक समस्याओं से स्वतंत्रता नहीं मिली है।भले ही आज देश के हर नागरिक के पास मौलिक अधिकार है लेकिन इन मौलिक समस्याओं से हमे अबतक आज़ादी नही मिल पाई है। गुलामी से आज़ादी और आज़ादी से अब तक का सफर जो भारत ने तय किया है, इसमें नागरिकों ने अविकसित भारत से विकासशील भारत को उभरते हुए देखा हैं। देश में मीडिया का विकसित होना, प्रोधोगिकी का विकसित होना, कृषि – बॉयोटेक का विकसित होना, वैज्ञानिक उपलब्धियों का बढ़ना हमें इस ओर संकेत करता है की भारत ने विकास के शीर्ष पर अपना सिक्का जमाया है लेकिन फिर भी हम उन समस्याओं को नज़रअंदाज़ नही कर सकते जो देश को पीछे खिंचने का काम कर रही है। स्वंतत्रता दिवस के मौके पर देश की उन समस्याओं के ऊपर गौर करना आवश्यक है जिससे आज़ादी के लिए हमे अभी भी लड़ना होगा।

गरीबी

पूरे विश्व में जितनी गरीबी है उसका तीसरा हिस्सा सिर्फ भारत में है। हमारे देश की वर्तमान स्थिति ये है कि आजादी के वक्त 240 रुपये से कम सालाना कमाने वाले व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे रखा गया था लेकिन 70 सालों बाद शहरों में 859 रुपये महीना कमाने वाले लोग गरीबी नहीं रहे। गरीबी से निपटने के लिए सरकार कई प्रकार की योजनाओं का शुभारंभ कर चुकी है लेकिन फिर भी हालात जस के तस है और गरीबी एक बड़ी समस्या बन कर सामने आ चुका है।

भुखमरी

भुखमरी का कारण है गरीबी और बेरोजगारी। देश भर में कुछ लोग ऐसे है जो बराबर खाना बर्बाद करते है तो कुछ लोग ऐसे है जो एक समय की रोटी के लिए भी तरसते है। और यही लोग शिकार होते है भुखमरी के यानी कई दिनों तक खाना नहीं मिलने के कारण समय से पहले ही दम तोड़ देना।संयुक्त राष्ट्र संघ के साल 2014-15 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 19 करोड़ 40 लाख लोग भुखमरी के शिकार हैं जो विश्व में किसी भी दूसरे देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है। देश में गरीबी हटाने और लोगों को भोजन मुहैया कराए जाने के लिए कई सरकारी कार्यक्रमों के बाद भी भुखमरी और कुपोषण सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।

अशिक्षा

अशिक्षा समाज के उन सभी समस्याओं का जड़ है जो भारत को पीछे धकेल रही है। अगर इंसान अशिक्षित है तो उसे अच्छी आय वाली नौकरी नहीं मिलेगी या फिर रोजगार ही नहीं मिलेगा जिस वजह से उसे गरीबी और भुखमरी का सामना करना पड़ेगा। यूनिस्कों की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 2 करोड़ 87 लाख ऐसे एडल्ट हैं जो पूरी तरह अशिक्षित हैं। साक्षरता दर की बात करें तो केरल में सबसे ज्यादा 93.91 फीसदी लोग साक्षर हैं तो वहीं इस मामले में सबसे पिछड़ा हुआ राज्य बिहार है। बिहार में सारक्षरता दर पूरे देश में सबसे कम 63.82 फीसदी है।

आतंकवाद

पूरे विश्व मे ऐसा कोई देश नही होगा जो आतंकवाद जैसी घटनाओं से अछूत हो। आए दिन किसी न किसी देश मे आतंकवादी घटनाये होते रहती है जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था भी डगमगाती है और साथ ही निर्दोष लोगों की जान भी जाती हैं।

भारत में आतंकवाद की शुरूआत उस वक्त हुई जब भारत के पहल से पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा अलग कर बांग्लादेश का निर्माण किया गया। इस पहल ने पूर्वी पकिस्तानों को राहत दिलाई लेकिन पश्चमी पकिस्तानों के लहू में बदले की आग दौड़ने लगी। जब पाकिस्तान ने महसूस किया कि भारत को युद्ध से हराना उसके बस की बात नहीं है तब उसने भारत को अस्थिर करने और जम्मू कश्मीर पर कब्जा के लिए आतंकवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया। और उसी वक्त से हमारा देश आतंकवाद से पीड़ित हो गया।

भारत में आतंवादी हमले की लिस्ट काफी लंबी है, 1993 का बम धमाका, 2003 झावेरी बम धमाका, 2001 में संसद भवन हमला, 2005 में दिल्ली के सरोजनी नगर में हुआ धमाका, 2005 में अयोध्या में आतंकी हमला, 2008 में मुंबई आतंकी हमला, 2010 में वाराणसी में बम धमाका, पंजाब में खलिस्तानी आतंकियों के हमले, नागालैंड और असम में सिलसिलेवार आतंकी हमले। भारत में सबसे ज्यादा आतंकी हमले पड़ोसी देश पाकिस्तान के तरफ से हुए हैं।

बेरोजगारी

आज देश भर में युवाओं की सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार हासिल करना। दिन ब दिन लगातार बढ़ रही जनसंख्या के कारण सरकार भी पस्त है ये सोचने में की आखिर कैसे बढ़ती जनसंख्या में हर युवा को उसके क्षमता के अनुसार रोजगार प्राप्त हो। रोजगार की समस्या न सिर्फ युवाओं को ही झेलनी पड़ रही है बल्कि इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। अगर सही आय वाली रोजगार नही तो सही खरीद भी नही और अगर खरीदने की क्षमता कमज़ोर है तो इसका सीधा असर पड़ता है देश मे निर्माण होने वाले वस्तु और उसके मांग पर जिससे जीडीपी घटती है और देश की अर्थव्यवस्था को कमज़ोर बनाती हैं।

भारत के लिए चिंता का विषय ये भी है कि देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी 20 से 24 साल के लोग हैं। देश में करीब 25 फीसदी ऐसे लोग इस उम्र के है जिनके पास कोई रोजगार नहीं है। देश में 25 से 29 की उम्र के ऐसे 17 फीसदी युवा हैं जो पूरी तरह बेरोजगार हैं। आकंड़ों के मुताबिक वर्तमान में हमारे देश में करीब 12 करोड़ लोग पूरी तरह बेरोजगार हैं।

यह देश की मौलिक समस्या है जिसका हम सामना आजादी मिलने के 70 सालों बाद भी कर रहे हैं। सही मायनों में तभी आजाद हो पाएंगे जब हम और हमारा देश इन समस्याओं से आजादी पा लेगा।

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