पटना से बाहर जाने वाले बस यात्री रविवार दिनभर परेशान रहे। जानकारी के अभाव में कई लोग मीठापुर पहुंच गए थे, ऐसे यात्री बैरिया तक पहुंचने की जद्दोजहद करते दिखे। वहीं, बैरिया पहुंचे यात्री बस खुलने का इंतजार करते दिखे। उन्हें यह भी पता नहीं चल रहा था कि कौन सी बस कहां से खुलेगी।
ऐसे में यात्रियों को दिनभर फजीहत उठानी पड़ी। यात्री सिर पर सामान लेकर बसें ढूढ़ते नजर आए। बस मालिक और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में यह तय नहीं हो पाया है कि कहां की बसें कहां रुकेंगी। इतना ही नहीं बस स्टैंड में जगह की कमी यात्रियों ही नहीं चालक, कंडक्टरों और आम लोगों पर भारी पड़ रहा है। बसों से पूरा स्टैंड बहुत जल्दी भर गया। कई बार बाहर जाम भी लग गया।
एजेंट बस पर बैठाने बाहर ले जाते
मुजफ्फरपुर जाने वाले राकेश पत्नी, दो बच्चों और सामान के साथ बैरिया बस स्टैंड के बाहर खड़े गर्मी से परेशान होते रह गये, कभी सामान लेकर सड़क पर आते तो कभी कोई एजेंट बस पर बैठाने के लिए स्टैंड में एक किलोमीटर दूर ले जाकर दिखाते। बस में कोई यात्री नहीं देख, बैरंग लौटकर मुख्य सड़क पर ही बस का इंतजार करने लगे। बदहवासी, गर्मी और बेचारगी झेलने की विवशता सिर्फ राकेश नहीं बल्कि सैकड़ों यात्रियों की है।
मीठापुर से बैरिया बस स्टैंड तक भटकते रहे यात्री
जानकारी के अभाव में यात्री मीठापुर से बैरिया बस स्टैंड तक चक्कर लगाते रह गये। दिल्ली से पटना आये, सुरेन्द्र बताते हैं कि वह मजदूरी करता है। अभी धान की रोपनी चल रही है। सुबह छह बजे से लेकर शाम चार बजे तक यात्री परेशान दिखे। इसका फायदा ऑटो चालकों ने खूब उठाया। बैरिया बस स्टैंड से स्टेशन का किराया 150 रुपये है लेकिन 200 रुपये से अधिक की वसूली की गई। हालांकि, परिवहन विभाग चार बसें मीठापुर से बैरिया बस स्टैंड के लिए अभी खोल रही है। पर जीरो माइल से लेकर बस स्टैंड तक जाम रहने के कारण सभी बसें जीरो माइल से ही मुड़ गईं।
एक ही गेट से बसों के आने और जाने का रास्ता
अभी एक ही गेट से स्टैंड में बसों के आने और जाने का रास्ता है। इसके कारण गेट पर ही जाम और दुर्घटना की स्थिति बनी रहती है। रविवार दिनभर बाइपास ट्रैफिक थानाध्यक्ष खुद जाम हटाते नजर आये, इसके बावजूद स्टैंड के अंदर जाम नहीं खत्म हुई। बिहार ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष चंदन कुमार सिंह बताते हैं कि अभी मात्र 250 बस से स्टैंड भर गया है। इतनी बसें तो दिनभर स्टैंड में खड़ी रहती है। जो रात में खुलती है। लोकल बसें खुलने के लिए भी जगह नहीं है।
क्राउड मैनेजमेंट की कोई व्यवस्था नहीं
बैरिया बस स्टैंड में दिनभर में हजारों लोगों का आना-जाना रहता है। ऐसे में क्राउड मैनेजमेंट की कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है। यात्रियों का कहना है कि खुदा न खास्ता कोई अप्रिय घटना होती है तो कैसे लोगों को सुरक्षित किया जाए, इसकी कोई व्यवस्था नहीं है।
अब तक नहीं बनी पुलिस चौकी
बैरिया स्टैंड से बसें खुलने शुरू हो गई हैं लेकिन अब तक पुलिस चौकी नहीं बनी है। हालांकि ट्रैफिक पुलिस और पुलिस कर्मियों की तैनाती है। दस से बारह की संख्या में पुलिस के जवान दिखे। बस स्टैंड से कई राज्यों के लिए बसें खुलती हैं। अगर किसी का सामान चोरी हो जाता है या कोई दुर्घटना हो जाती है तो प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दस किलोमीटर दूर रामकृष्णा नगर थाना जाना पड़ेगा। इस हालत में आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाना मुश्किल होगा।
मीठापुर से दुकानें समेटने लगे लोग
मीठापुर बस स्टैंड अब सिर्फ एजुकेशन हब के रूप में दिखने लगा है। जहां बसें लगती थी, अब वीरानगी नजर आ रही है। चाय-नास्ता, पानी, बैग और होटल खाली हो चुके हैं। मनोज और टिंकू कुमार दोनों जनरल स्टोर चलाते थे, शनिवार से बिल्कुल बेरोजगार हो गये। मनोज कुमार बताते हैं कि डीएम आकर दिलासा देकर गये हैं कि छह महीने के बाद बैरिया बस स्टैंड में शिफ्ट कर देंगे, लेकिन वह छह महीने क्या खाएंगे, यह कोई नहीं सोचा है।