राजपुर प्रखंड के मानिकपुर हाईस्कूल में इमरजेंसी लैंडिंग के चौथे दिन शनिवार को तकनीकी खराबी दूर होने के बाद वायु सेना के हेलिकॉप्टर चिनूक ने उड़ान भरी। चिनूक यहां से बिहटा के लिए रवाना हुआ। इस दौरान स्कूल के चारों ओर सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा हो गई। हेलिकॉप्टर के उड़ान भरते ही हाथों में तिरंगा लिए लोगों ने एक सुर में भारत माता की जय के नारे लगाए।

बुधवार को प्रयागराज से हेलिकॉप्टर लगभग 20 जवानों को लेकर बिहार के बिहटा एयरफोर्स स्टेशन जा रहा था। इसी दौरान हेलिकॉप्टर में तकनीकी खराबी आ गई। हेलिकॉप्टर के पंखे से चिंगारी निकलने की बात कही गई थी। पायलट ने स्थिति को नियंत्रित करते हुए हेलिकॉप्टर को धनसोई थाना क्षेत्र के मानिकपुर हाईस्कूल के खेल मैदान में अपात लैंडिंग करा दी थी। उसपर सवार सभी जवान सुरक्षित उतर गए थे।

वायुसेना के तकनीकी विशेषज्ञों ने दूर की खराबी

डीएम अमन समीर ने बताया कि सेना के ऑपरेशनल ऑफिस से आए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने खराबी दूर कर ली। इसके बाद से 11.30 बजे दिन में चिनूक ने उड़ान भरी। पिछले तीन दिनों से लगातार तकनीकी दल के लोग हेलीकॉप्टर को ठीक करने में लगे हुए थे।

पूजा-पाठ के बाद विमान को चालू कर पायलट ने आसमान में तीन चक्कर लगाए

तकनीकी खराबी ठीक करने के बाद सफल ट्रायल के बाद स्थानीय मुखिया की तरफ से भूमि का पूजन किया गया। इसके बाद भारत माता की जय घोष से पूरा गांव गूंज उठा।

पूजा पाठ के बाद विमान को चालू कर पायलट ने आसमान में तीन चक्कर लगाकर हेलीपैड पर लैंड किया। पुन: दोबारा जैसे ही पायलट ने हेलीकॉप्टर चालू किया, वहां मौजूद सैकड़ों की संख्या में युवाओं और ग्रामीणों के टोली ने हाथ में तिरंगा लिए भारत माता की जय नारे लगाए।

हेलिकॉप्टर देखने वालों की भीड़ की वजह से सजी समोसा- भूंजा की दुकानें

मानिकपुर गांव के स्कूल कैंपस में जब से वायुसेना का हेलिकॉप्टर उतरा था, उसी समय से कौतूहलवश लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। लोगों की भीड़ बक्सर के अलावा आसपास के जिले रोहतास, यूपी के गाजीपुर, बलिया से भी जुट रही थी। लोग घंटों हेलिकॉप्टर की सुरक्षा के लिए की गई बैरिकेडिंग के आसपास खड़े होकर इसे देख रहे थे।

गांव के महिला-पुरूष सभी लोगों ने सेना के जवानों को खिलाने-पिलाने से लेकर हर तरह की व्यवस्था की। लोगों की भीड़ टेंपो-बैलगाड़ी और ट्रैक्टर पर सवार होकर जुट रही थी। भीड़ जुटने के कारण खाने-पीने की भीड़ भी जुटनी शुरू हो गई। आसपास बाजारों के ठेला-खोमचा वाले समोसा, भूंजा, जलेबी की दुकान यहीं सजाकर अपनी दुकानदारी कर रहे थे। चार दिनों से इनकी खूब बिक्री हो रही थी।

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