पोशाक
चारो ओर अफ़रा_तफ़री का माहौल था।।
बाहर से जितना शान्त और भव्य दिख रहा था
अंदर से उतना ही बेचैन ,बौखलाहट से भरा हुआ।।
किसी के चेहरे...
हम क्या थे, क्या होते जा रहे हैं…
हम क्या थे, क्या होते जा रहे हैं... ख़त्म होती मानवीय संवेदना !!!
बात कुछ दिन पहले की है। हम गाँधी मैदान से डाक बंगला...
वो पहला प्यार
वो पहला प्यार
आज उसका शहर में आखिरी दिन था। घनघोर बारिश ने शाम के धुंधलके को रात के अंधेरे में तब्दील कर दिया था...
Making Difference
Making Difference
As she stood in front of her fifth grade class on the first day of school she told the children she loved them...