अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद देश में हाहाकार मच गया है। हजारों लोग हर रोज देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर नजर आ रहे हैं। अफगानिस्तान में गहरा मानवीय संकट पैदा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अफगानिस्तान को लेकर चेतावनी जारी की है कि तालिबान के कब्जे के बाद से देश में मानवीय संकटों की एक सीरीज शुरु कर दी है जिसमें स्वास्थ्य के अलावा भी कई चीजें शामिल हैं। देश के लोग भूखमरी और बिमारियों की चपेट में हैं जिसमें 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे और महिलाएं शामिल हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को एक बयान जारी कर अफगानिस्तान में स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति पर चिंताते जताते हुए कहा है कि यहां अनगिनत लोग संघर्ष के चलते भूख और बीमारी की चपेट में हैं।

विश्न स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक देश की आधी आबादी को मानवीय सहायता की जरूरत है जिसमें 1 करोड़ बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा सूखे से पहले से ही विकट स्थिति और बिगड़ने की आशंका है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता ने कहा, “महिला स्वास्थ्य कर्मियों तक महिलाओं की पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान देने के साथ देश भर में बिना किसी रुकावट के स्वास्थ्य सेवाओं का निरंतर जारी रहना जरूरी है।”

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि यूनाइटेड किंगडम ने कहा है कि वह तालिबान से भागकर देश में आने वाले अफगान शरणार्थियों को कोरोनावायरस बीमारी (कोविड -19) के खिलाफ टीके लगाएगा। इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स भी आने वाले अफगानों को आवास और सहायता प्रदान करने के लिए आपातकालीन धन का उपयोग कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक यूके ने इस क्षेत्र में मानवीय सहायता की अपनी राशि को दोगुना करने का फैसला किया है और यह एक नए पुनर्वास कार्यक्रम के तहत लगभग 20,000 कमजोर अफगानों को फिर से बसाना चाहता है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, यूएनएचसीआर ने भी देश में आवश्यक मानवीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए “निरंतर समर्थन” का आह्वान किया है और “अफगानिस्तान के भीतर मौजूदा मानवीय जरूरतों” के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि पूरे देश में जमीनी स्तर पर स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है।

 

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