बिहार लौटकर आए तो कहा-मोह टूटा परदेस से, अब गांव में ही रोटी जुटाएंगे, बाहर नहीं जाएंगे

कोरोना वायरस से बचने को चल रहे लॉकडाउन में गांव गुलजार हैं। दिल्ली-मुंबई आदि से लौटे प्रवासियों को गांव फिर भाने लगा है। घर-परिवार की चिंता में मन बाहर जाने की गवाही नहीं दे रहा। नतीजतन प्रवासी गांव में ही रोजगार तलाश रहे हैं।

पटना जिले के दुल्हिनबाजार प्रखंड के बेल्हौरी गांव पहुंचे संवाददाता से प्रमोद कुमार कहते हैं, ओडिशा में सोलर प्लेट मरम्मत का काम करता था। प्रति माह आठ हजार रुपये मिलते थे। लॉकडाउन में कंपनी बंद हो गई। मजदूरी का पैसा भी कंपनी ने नहीं दिया। वहां दोनों समय का खाना मिलना भी था। किसी तरह  गांव पहुंचे तो जान में जान आई। अब मर जाएंगे, लेकिन गांव नहीं छोड़ेंगे। कुछ जमा पैसे हैं, उसी से गांव में दूध का कारोबार शुरू करूंगा।

संवाददाता ऐनखा गांव पहुंचा तो अशोक कुमार बोले, गुडग़ांव में कपड़े की फैक्ट्री में काम करते थे। हर माह 10 हजार रुपये मिलते थे, लॉकडाउन में खाने को तरस गए। आधा रास्ता पैदल चलकर घर पहुंचे। अब गांव में ही सब्जी की दुकान खोल दी है, जिससे गुजारा चल जा रहा है। वापस नहीं जाएंगे।

काब गांव में सिंधु शर्मा कहते हैं, गुजरात के गांधीधाम में पाइप फैक्ट्री में काम करते थे। गांव आए हुए थे तभी लॉकडाउन की घोषणा हो गई। कई साथी अब भी वहीं फंसे हुए हैं। उन लोगों ने फोन पर अपनी पीड़ा सुनाई। यह सुनकर ठानी है कि अब नहीं जाएंगे। मुसीबत में गांव-घर ही काम आता है। खेतीबारी में जुटा हूं, आगे यहीं कोई व्यवसाय करूंगा।

बख्तियारपुर में दूसरे प्रदेश से लौटे पुकार राय, विश्वनाथ राय और बरफिलाल राय ने बताया कि दिल्ली में कपड़ा फैक्ट्री में थे। आठ हजार रुपये हर माह मिलता था। काफी पैसा वहीं खर्च हो जाता था। कंपनी बंद हो गई तो खाना मुश्किल हो गया था। गांव आने के बाद भी समस्या आई, लेकिन अब मनरेगा में काम मिलने से समस्या दूर हो गई। यहीं काम करेंगे।

मुखिया मनोज कुमार कहते हैं, हरदासपुर दियारा में मनरेगा के तहत बाढ़ सुरक्षा प्लेटफॉर्म का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें एक दर्जन मजदूर काम कर रहे हैं। कार्यक्रम पदाधिकारी आनंद कुमार कहते हैं, परदेसियों के लौटने से गांवों में मजदरों की कमी नहीं है।

हरदासपुर दियारा, रुपस महाजी दियारा, सतभैया दियारा में बाढ़ सुरक्षा प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है। मंझौली में पोखर उड़ाही एवं पइन उड़ाही, सैदपुर हिदायतपुर में भी पइन उड़ाही का काम शुरू किया गया है। इन सबमें दूसरे प्रदेशों से लौटे मजदूरों को गांवों में ही काम मिल रहा है।

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