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प्रभाव

thebiharnews_globle_warming_earthग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ऐसा आकलन है कि अगली शताब्दी तक 2 से 11.30 डिग्री फारेनहाइट की वृद्धि तापमान में होगी।लगभग 69 करोड़ बच्चे इसके दुष्प्रभाव को किसी न किसी रूप में झेल रहे है।  इस बढ़ते तापमान के निम्नलिखित प्रभाव हो रहे है और आगे  होंगे:-

  • अमेरिका के मोंटाना ग्लेशियर पार्क में कभी 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव से अब 25 ही बचे हैं। इसी  तरह बर्फ की चोटियाँ  पिघलने लगेंगे जिससे समुन्द्र का जल स्तर बढ़ेगा और समंदर के आसपास के शहर जलमग्न हो जाएंगे जिससे भारी तबाही होगी।
  • भोजन और पानी की कमी होगी।
  • प्राकृतिक आपदाओं बाढ़, सूखा, तूफान का आना और बढ़ेगा। अभी हाल ही में आई सुनामी, भुज का भूकंप उत्तराखंड की विनाशलीला, जम्मू का बाढ़ और विश्व के अन्य देशों में आई प्राकृतिक आपदाएं इसी के कारण है।
  • गर्मी के मौसम में बढ़ोतरी और सर्दी के मौसम में कमी होगी। अनियमित और अनिश्चित बारिश का कारण भी यही है।
  • ओजोन परत का क्षरण होगा और अल्ट्रावायलेट किरणों का रुकना मुश्किल हो जाएगा।
  • प्रकृति के तत्वों के असंतुलन के कारण महामारियों और बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ेगा।
  • पेड़ों और पशुओं की कई प्रजातियां लुप्त हो गई और लुप्त होने के कगार पर है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण अगले 50 से 100 साल में पृथ्वी पर जीवन अत्यधिक कठिन हो जाएगा।

 

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