बैंक कैशियर और उसके साथियों की गिरफ्तारी के बावजूद साइबर फ्रॉड का मामला थम नहीं रहा है। सोमवार को एमपीएस साइंस कॉलेज के अंग्रेजी के प्रोफेसर डॉ. जेएन सिंह और शहर के एक डॉक्टर के खाते से 50 लाख से अधिक की राशि उड़ा ली गई है। सभी राशि साइंस कॉलेज स्थित पीएनबी ब्रांच से उड़ाई गई है। राशि की निकासी एनआरटीजीएस से की गई है। इसे लेकर डॉक्टर और प्रोफेसर ने शिकायत की है।

वहीं देर शाम एसएसपी, सिटी एसपी, नगर डीएसपी और सदर थाने की पुलिस ने पीएनबी की साइंस कॉलेज शाखा में छानबीन की। मैनेजर और अन्य कर्मचारियों से एक घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद एक बैंककर्मी को पुलिस ने मौके से हिरासत में लिया है। उसे गोपनीय जगह रखकर पूछताछ की जा रही है। इधर, एसएसपी जयंतकांत ने बताया कि प्रोफेसर और डॉक्टर के खाते से 50 लाख रुपये की निकासी हुई है, जिसकी जांच की जा रही है। पिछले दिनों पकड़े गए एक शातिर की निशानदेही पर जांच को आगे बढ़ाया गया है। एसएसपी ने डॉक्टर का नाम बताने से मना कर दिया है। कहा है कि जांच की जा रही है।

प्रोफेसर के खाते से तीन दिनों में निकाले 45 लाख

एमपीएस साइंस कॉलेज के अंग्रेजी के प्रोफेसर डॉ. जेएन सिंह ने बताया कि शनिवार को मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि पीएनबी की साइंस कॉलेज शाखा से साइबर फ्रॉड ने एक करोड़ से अधिक राशि निकाल ली है। उसके कैशियर समेत चार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसके बाद वे सोमवार को बैंक पासबुक अपडेट कराने पहुंचे। लेकिन, बैंक के कोई भी कर्मचारी पासबुक अपडेट करने को तैयार नहीं थे। सभी टाल-मटोल कर रहे थे। इसके बाद बैंक मैनेजर से मिलकर इसकी शिकायत की। वे भी पहले पासबुक अपडेट को लेकर हिचके। काफी दबाव देने पर एक महिला कर्मचारी को अपडेट करने को कहा। अपडेट करने के बाद जानकारी मिली कि तीन दिन में साइबर फ्रॉड ने एनआरटीजीएस के माध्यम से 45 लाख रुपये की निकासी कर ली है।

कई बार पासबुक को देखा, फिर भी नहीं हो रहा था भरोसा

प्रोफेसर ने बताया कि जब क्लर्क ने उन्हें पासबुक अपडेट कर दिया तो उन्होंने उनसे पूछा कि सब ठीक है ना। इसपर जब उन्होंने पासबुक देखा तो भौंचक रहे गए। कई बार अपना पासबुक देखा, फिर बैंककर्मी से कंफर्म हुए कि उनके ही खाता को अपडेट किया गया है या किसी और का तो नहीं चढ़ा दिया है। साइबर फ्रार्ड ने बीते आठ, नौ और दस अगस्त को उनके खाते से रुपये निकाले हैं। आठ अगस्त को पांच लाख, फिर नौ अग्रस्त को पांच-पांच लाख चार बार और 10 अगस्त को पुन: पांच-पांच लाख चार बार में निकाले हुए थे।

आरटीजीएस नहीं, बल्कि एनआरटीजीएस से हुई थी निकासी

प्रोफेसर ने बताया कि अबतक राशि का ट्रांसफर आरटीजीएस व एनईएफटी से होता रहा है। लेकिन, उनके खाता से एनआरटीजीएस से निकासी की गई थी। जब उन्होंने बैंककर्मियों से इस संबंध में जानकारी मांगी तो उनलोगों ने भी इसकी जानकारी होने से अनिभिज्ञता जतायी है। उनके खाते में 54 लाख से अधिक रुपये थे। करीब नौ लाख रुपये बचे हुए हैं। उन्होंने बताया कि पकड़े गए कैशियर ने अन्य के साथ मिलकर उनके खाते से रुपये की निकासी की है। जब वह गिरफ्तार हो गया तो उसके बाद से रुपये नहीं निकले।

नहीं आया मैसेज या मेल

प्रोफेसर ने बताया कि छोटी से छोटी निकासी करने के बाद भी बैंक के द्वारा रुपये निकासी की जानकारी मोबाइल पर मैसेज और ई-मेल के माध्यम से दी जाती रही है। इतनी बड़ी राशि निकल गयी, लेकिन पासबुक अपडेट करने के बावजूद मैसेज या मेल नहीं आया। इसके अलावा बैंक से एक लाख रुपये से अधिक की निकासी करने पर बैंक से कॉल भी आता है। लेकिन, वह भी नहीं आया।

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