बिहार में पांच साल के 22.09 फीसदी बच्चों में कुपोषण के लक्षण मिले हैं। इनमें 8.8 फीसदी बच्चे अति गंभीर हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शनिवार को बताया कि राज्य में इस आयु वर्ग के बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य के पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) पर सभी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।

इन केंद्रों पर कुपोषित बच्चों का कई तरीकों से देखरेख की जा रही है और इसकी निगरानी के लिए हाल ही में विभाग ने 34 कम्युनिटी बेस्ड केयर स्टैंडर्ड (सीबीसीई) तथा 27 फीडिंग डेमोन्स्ट्रेटर (एफडी) नियुक्त किए हैं। बताया कि तैनात सभी सीबीसीई और एफडी कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों तक पहुंचाने में अभिभावकों को जागरूक और प्रेरित करने के साथ-साथ उनके लिए डायट चार्ट उपलब्ध कराएंगे। ताकि बच्चों का वजन और उनकी लंबाई उम्र के हिसाब से विकसित हो सके।

साथ ही, ऐसे बच्चों का भविष्य में मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास सुनिश्चित हो सके। राज्य में कुपोषित बच्चों की देखरेख और उनके इलाज के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया गया है। इस राशि से कुपोषित बच्चों का इलाज और उनके पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जा रही है।

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