बढ़ती उम्र में आजकल ज्यादातर लोगों को घुटनों और जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है। इससे मुक्ति पाने के लिए लोग कई बार पेन किलर से लेकर कई आयुर्वेदिक उपचार ट्राई कर चुके होते हैं लेकिन फिर भी जोड़ों का दर्द बार-बार लौटकर आ जाता है। ऐसे में दर्द का इलाज करने से पहले इसका कारण जानना बहुत जरूरी है जिससे कि दर्द से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।

दर्द को अनदेखा करना 
हम सभी के शरीर में यहां-वहां छोटे-छोटे दर्द होते रहते हैं। ज्यादातर समय हम बिना ज्यादा परेशानी के उस दर्द से उबर जाते हैं, लेकिन, अगर आपको दर्द है जो आपके नियमित जीवन को एक हफ्ते से ज्यादा है तो आपको कारण का पता लगाने की जरूरत है।

वजन बढ़ना 
घुटने के जोड़ शरीर के भार का चार गुना भार उठाते हैं। तो, शरीर के वजन में एक किलो वृद्धि घुटने के जोड़ पर 4 किलो अतिरिक्त भार डाल देगी। यह अतिरिक्त दबाव दो कठोर बोनी सिरों के बीच घुटने के कार्टिलेज को कम कर सकता है। ऐसे में सबसे पहले अपने वजन को कम करें।

पुरानी चोट को भूलना
कई बार ऐसा होता है कि बचपन या बहुत साल पहले हमें घुटनों के आसपास कोई गुम चोट लग जाती है। समय के साथ हम तो वे चोट भूल जाते हैं लेकिन घुटनों के आसपास कहीं जख्म रह जाता है। उम्र बढ़ने के साथ चोट का दर्द बढ़ने लगता है। वहीं, कभी-कभी कुछ खेल फुटबॉल, हॉकी, बास्केटबॉल, रग्बी, स्केटिंग आदि ऐसे खेल के कारण घुटनों और जोड़ों में खिचांव आ जाता है। मेनिसिस और कार्टिलेज को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

गलत साइज के जूते 
अगर हम सही जूते नहीं पहनते हैं, तो इससे घुटने के लिगामेंट और मांसपेशियों को प्रभावित को नुकसान पहुंचता है, इसलिए हमें घुटने में किसी भी तरह की चोट से बचने के लिए सही जूते पहनने चाहिए। इसका यह अर्थ नहीं है कि अपने साइज के जूते ही सही है बल्कि आपको पैरों का कम्फर्ट लेवल भी चेक करना चाहिए।

ओवर वर्कआउट 
कुछ लोग बहुत ही ओवर वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज रोज करते हैं। वर्कआउट से उबरने के लिए शरीर को आराम की जरूरत होती है। ऐसे में सबसे पहले अपनी एक्सरसाइज के घंटे निर्धारित करें। अभी भी ओवर एक्सरसाइज करें, इससे आपके घुटनों पर असर पड़ता है।

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