will the opposition stop BJP from winning elections-The-Bihar-News

क्या कमल की बादशाहत पर लगेगी रोक ?

28 मई 2018 को देश में दस जगह पर उपचुनाव हुई थे। जिनके नतीजे 31मई 2018 को घोषित किए गये। भाजपा ने सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल की वही विपक्ष ने बाकी आठ सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत की। 2014 के चुनाव के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि विपक्ष ने इतनी मजबूती से भाजपा को टक्कर दी। भाजपा ने एक लोकसभा सीट और दूसरी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की,ये अब तक दूसरा सबसे बड़ा झटका रहा है। उपचुनाव के नतीजे साफ़ इशारा करते हैं कि 2019 के चुनाव में भाजपा के सामने एक मजबूत विपक्ष खड़ा है। कनार्टक चुनाव हारने के बाद ये भाजपा के लिए दूसरी बड़ी शिकस्त है, 2014 के चुनाव मे ये आठ सीटे भाजपा कि थी। विपक्ष की एकजुटता कनार्टक के मुख्यमंत्री पद समारोह मे देखी गई, विपक्ष की लगभग हर पार्टी ने समारोह मे शिरकत की थी।

सपा से लेकर ऐ.आई.डी.एम.के जैसी पार्टियों ने भाजपा के खिलाफ एकजुटता दिखाई।

2019 के चुनाव के सबसे कठिन चुनावों मे से एक रहेगा। जहा चुनाव के चाणक्य अमित शाह का कहना है कि इस हार को वो भारी शिकस्त नही मानते है,वही विपक्ष अपनी इस जीत से काफ़ी खुश है।

इन आठ जगहों पर हारी भाजपा :
उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, झारखंड,पंजाब, पं बंगाल, मेघालय, कनार्टक।

जे.पी आन्दोलन 1974 में हुआ था ताकि काग्रेंस को सत्ता से हटाया जाए तब विपक्ष की एकजुटता देखी गई थी, शायद एक बार फिर जे.पी आन्दोलन को दोहराया जायेगा फर्क सिर्फ इतना होगा कि उस वक्त सत्ता में काग्रेंस थी और इस बार भाजपा। ये अब तक की दूसरी सबसे बड़ी जीत है काग्रेंस के लिए, उसने चुनाव में दस में तीन सीटों पर जीत कर साबित कर दिया उसका असत्तिव मिटाना इतना आसान नही है। वही क्षेत्रीय दलों ने अपनी हारी हुई सीटे भाजपा से छीनी।2018 का चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था, जहा विपक्ष ने साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल कर अपने वर्जस्व को बचाया वही भाजपा पर सवालिया निशान छोड़ते हुए कि 2019 के चुनाव वो भाजपा को इतनी आसानी से नही जीतने देगी।

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