तीन पुश्तों से ये मुस्लिम परिवार बना रहा तिरंगा
डुमरांव (बिहार)-चंद लोगों की गलत बयानबाजी और जाति-धर्म को लेकर द्वेष फैलाने वालों के मुंह पर यहां का एक कारीगर शमीम मंसूरी जोरदार तमाचा है। पिछले 22 वर्षों से शमीम नेशनल फ्लैग बनाने का काम कर रहे हैं। पहले तो अकेले बनाते थे। इनके बच्चे भी बड़े हो गए हैं। वे भी इस कार्य में उनका हाथ बंटाते हैं। अब उनका पूरा परिवार इस धंधे में शामिल है। तिरंगा बनाते इनके हाथ थकते नहीं। वे सैकड़ा की संख्या में इसका निर्माण करते हैं और थोक में बेच देते हैं।
क्या कहना है शमीम का
- शमीम का कहना है कि आपसी भाईचारगी और राष्ट्रीयता सबसे बड़ी है। इनके प्रमुख खरीददार हैं खादी भंडार। जो इनके यहां बने सभी झंडे एक साथ खरीद लेते हैं।
- शहर में पुराना थाना के पास ईश्वर चन्द्र की गली में इनका अपना बसेरा है। पूछने पर बड़े गर्व से बताते हैं। पूरे जिले में मेरे द्वारा बनाए गए झंडे ही बिकते हैं।
बिहार के अलावा यूपी में भी जाता है शमीम के हाथों बनाया गया तिरंगा
- शमीम बताते हैं कि उनके द्वारा बनाए गए झंडे डुमरांव, बक्सर, आरा, बिक्रमगंज, पीरो, जगदीशपुर, के अलावे यूपी के बलिया, गाजीपुर, के साथ सभी सरकारी कार्यालयों में जाता है।
- उन्होंने कहा कि हमें गर्व की अनुभूति है क्योंकि हम भारतीय है। मैं यहां दो रुपये से लेकर सौ रुपये तक के झंडे मैं बनाता हूं। जिनका साइज अलग-अलग होता है।
- शमीम की ये लगन समाज के उन दोनों वर्गों के लिए सीख है। जो ऐसे लोगों पर शक करते हैं। साथ ही उनके लिए जो जाति के नाम पर देश के लिए गलत सोचते हैं।
आजादी के पहले से ही सवार है तिरंगे का जुनून
- शमीम मंसूरी कहते है कि हमारे परिवार को आजादी के पहले से ही तिरंगे के दीवाने है मेरे दादा सकीरा मियां आजादी के पहले से तिरंगे झंडे का निर्माण करते आ रहे है।
- उनकी मौत के बाद मेरे पिता जी नन्हक मंसूरी ने देशी की शान को अपने हाथों में लेकर 1996 तक लहराया उनके मौत के बाद बन मैं ऊंचा रहे झंडा हमारा के जुनून के साथ बनाते आ रहा हूं। हमें गर्व होता है है कि हम भारत मां के लाल है और हिंदुस्तान में पले-बढ़े हैं।
झंडा के बनाने का नियम
- तिरंगे की परिकल्पना पिंगली वेंकैया ने की थी। इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे हरे रंग की पट्टी है।
- लंबाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें 24 आरे होते हैं। व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्ष फलक जैसा होता है।
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