बिहार: TET में सेलेक्ट होने के लिए स्टूडेंट्स को आ रहे हैं फोन, ‘सवा लाख दो करा देंगे पास’

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से संविदा के तहत मल्टी टास्किंग स्टॉफ के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इसमें चयनित कराने के लिए कुछ अभ्यर्थियों से फोन पर पैसे मांगे जा रहे हैं। प्रथम चरण में चयनित अभ्यर्थी शंभू चौहान के पास 21 नवंबर को मोबाइल नंबर 7654207622 से फोन आया। शंभू ने कहा- फोन करने वाले ने बताया कि टाइपिंग टेस्ट में सफल हो गया हूं। लिखित परीक्षा 25 नवंबर को है।

लिखित परीक्षा से पहले 25 हजार रुपये दो, तुम्हारा चयन हो जाएगा। इसके बाद एक लाख रुपया देना होगा। वहीं, अभ्यर्थी मुकेश कुमार को भी इसी मोबाइल नंबर से फोन आया है। फोन करने वाले ने एकाउंट नंबर 31250543207 भी दिया है। अभ्यर्थी ने इसकी शिकायत बोर्ड से की है। गौरतलब है कि मैट्रिक-इंटर और टीईटी में पास कराने के लिए भी कुछ अभ्यर्थियों से पैसे मांगे जा रहे थे। पुलिस ने ऐसे कुछ ठगों को पकड़ा भी था।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि ऐसे फोन आने की जानकारी मुङो अभी नहीं है। अभ्यर्थी को संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए। बोर्ड में शिकायत करने पर कार्रवाई होगी।

पहले भी मांगे जा चुके हैं पैसे-
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के नाम पर पैसे मांगने की घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। इसके पहले भी मैट्रिक, इंटर और टीईटी में अंक बढ़ाने और पास करने के नाम पर पैसे की मांग परीक्षार्थियों से की जा चुकी है। पटना पुलिस की मानें तो फोन कर पैसे मांगने वाले आधा दर्जन अपराधी पकड़े जा चुके हैं।

टाइपिंग में फेल को भी आया फोन : ऐसे अभ्यर्थियों को भी फोन आये है जो टाइपिंग में फेल हो गये हैं। राजापुर की अभ्यर्थी संगीता कुमारी ने बताया कि उन्हें तीन दिन पहले फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि टाइपिंग में पास करवा देंगे, लेकिन इसके लिए अभी 30 हजार रुपये देने होंगे। ज्वाइनिंग लेटर आने के बाद 40 हजार देने होंगे।

बड़ा सवाल:कैसे लीक हुई डाटा और कैसे पता चला नंबर-
बिहार बोर्ड ने मल्टी टास्किंग स्टाफ पद के लिए अक्टूबर में वैकेंसी निकाली थी। परीक्षा दो चरण में होनी है। प्रथम चरण में टाइपिंग टेस्ट 7 और 8 नवंबर को हुआ था। बेउर में इसका केंद्र था। 35 सौ अभ्यर्थी में से 610 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। इन्ही चयनित अभ्यर्थियों में से कुछ को फोन किए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि चयनित अभ्यर्थियों का डाटा साइबर अपराधियों के पास कैसे पहुंचा।

मैट्रिक, इंटर या टीईटी में सफल होने के लिए जब अभ्यर्थियों के पास फोन आए तो बिहार बोर्ड ने कहा था कि साइबर कैफे वालों से परीक्षा फॉर्म भरवाया गया। वहीं से फोन किया जा रहा है। लेकिन मल्टी टास्किंग स्टाफ के लिए तो ऑनलाइन आवेदन अभ्यर्थियों ने खुद किया था। ऐसे में फोन करने वाले को अभ्यर्थी का मोबाइल नंबर कैसे मिल गया है।

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