TET number Gang arrested, Laptop, Mobile, Passbook, Sim Card Recovered by Patna Police | The Bihar News
TET number Gang arrested, Laptop, Mobile, Passbook, Sim Card Recovered by Patna Police | The Bihar News

टीईटी में नंबर बढ़ाने और पास कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले सात गिरफ्तार, लैपटॉप बरामद

पटना पुलिस ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में नंबर बढ़वाने के नाम पर फोन कर ठगी करनेवाले गिरोह के सात सदस्यों को नालंदा, नवादा व शेखपुरा से गिरफ्तार कर लिया. इन लोगों के पास से पुलिस की टीम ने अभ्यर्थियों के नाम व फोन की लिस्ट, 15 मोबाइल, प्रिंटर, पासबुक व लैपटॉप आदि बरामद किये हैं. यह गिरोह नंबर बढ़वाने को लेकर अभ्यर्थियों को फोन कर यह जानकारी देता था कि उसका रिजल्ट पेंडिंग में हैं और वह अगर पास होना चाहता है, तो रुपये दें. अगर अभ्यर्थी तैयार हो जाता था, तो फिर उसे एक बैंक एकाउंट नंबर दिया जाता था और उस पर ही पैसा डालने को कहा जाता था.

इस तरह से इस गिरोह ने दर्जनों लोगों से हजारों रुपये वसूल लिये थे. साथ ही अभ्यर्थियों को इंप्रेस करने के लिए यहां तक जानकारी देते थे कि वे लोग एसएसपी मनु महाराज के साथ खाना खाते है और कई अधिकारियों के साथ उनके अच्छे संबंध है.

उनसे मिले पैसे तुरंत ही टीईटी के अध्यक्ष के खाते में जमा करा दिया जायेगा और उनका नंबर बढ़ जायेगा. गिरोह की ओर से नंबर बढ़वाने को लेकर अभ्यर्थी से 50 हजार से एक लाख रुपये तक की डिमांड की जा रही थी.

ये हुए गिरफ्तार

नीतीश कुमार (मैरा वरीठ कतरीसराय, नालंदा), इंद्रदेव प्रसाद (मैरा वरीठ, कतरीसराय, नालंदा), टुसी कुमार (रहिचा, शेखोपुर, शेखपुरा), कारू पासवान (रहिचा, शेखोपुर, शेखपुरा), रंजन कुमार चौधरी (पनहेसा, शेखोपुर, शेखपुरा), बासुदेव चौधरी (पनहेसा, शेखोपुर, शेखपुरा) और धनराज चौधरी (पनहेसा, शेखोपुर, शेखपुरा)

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नंबर बढ़वाने का कर रहे थे गोरखधंधा

यह गिरोह मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा के बाद फोन कर छात्रों से नंबर बढ़वाने के नाम पर वसूली कर रहा था और फिर जब टीईटी की परीक्षा हुई, तो उसमें नंबर बढ़वाने के लिए फिर से कैंडिडेट के नाम व मोबाइल नंबर का जुगाड़ कर उन लोगों से ठगी चालू कर दी थी. इस संबंध में कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

नालंदा व शेखपुरा में बना रखा था केंद्र, चार मास्टरमाइंड करते थे सारे इंतजाम

लगातार आ रही शिकायत के बाद एसएसपी मनु महाराज के निर्देश पर एक टीम बनायी गयी और नालंदा व शेखपुरा में छापेमारी की गयी. इस दौरान शेखपुरा के रहिचा गांव से दो को पकड़ा गया और फिर उनकी निशानदेही पर सातों की गिरफ्तारी हुई. पकड़े गये लोगों के पास से एक रजिस्टर भी बरामद की गयी है. इस रजिस्टर में इस बात का जिक्र है कि किन-किन अभ्यर्थियों से कितने की राशि ली गयी और कितने से अभी लेने हैं. साथ ही उनके पास से बरामद लैपटॉप में भी कई राज बंद हैं. लैपटॉप का अध्ययन किया जा रहा है. पकड़े गये युवकों ने पुलिस को जानकारी दी है कि उनके ही गांव के चार युवक मास्टरमाइंड है और वे लोग ही अभ्यर्थियों के नाम व पते की लिस्ट, सिम कार्ड, मोबाइल फोन, पासबुक व एटीएम कार्ड उपलब्ध कराते थे.

इसके बाद वे लोग उन अभ्यर्थियों को फोन कर नंबर बढ़वाने का दावा कर पैसे मांगते थे.

बिहार बोर्ड, बैंक व मोबाइल कंपनियाें के कर्मचारी पर भी शक

इस मामले में बिहार बोर्ड, बैंक व मोबाइल कंपनियों के कर्मचारी भी शक के घेरे में हैं. इन जालसाजों के पास कई अभ्यर्थियों के नाम व मोबाइल नंबर की लिस्ट मिली है, जो बिहार बोर्ड के पास ही रहती है. किसी कर्मचारी ने ही वह लिस्ट जालसाजों को उपलब्ध करायी है. इसके अलावा फर्जी नाम व पते पर बैंक खाता खोला गया है. इसके अलावा फर्जी नाम व पते के आइडी प्रुफ पर सिम कार्ड उपलब्ध कराये गये हैं. जिससे यह स्पष्ट है कि इन विभागों या कंपनियों के कोई-न-कोई ऐसा है, जो जालसाजों को ये सारे सामान उपलब्ध करा रहा था.

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समिति ने किया एसएसपी, सिटी एसपी समेत 13 को सम्मानित

टीइटी में फर्जी करने वालों आरोपिताें को पकड़े जाने पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने एसएसपी, सिटी एसपी समेत 13 लोगों को सम्मानित किया. इनमें समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने वरीय पुलिस अधीक्षक मनु महाराज को 25 हजार और नगर पुलिस अधीक्षक अमरकेश डी को 15 हजार और प्रशिस्त पत्र देकर सम्मानित किया गया. पुलिस निरीक्षक मितेश कुमार, पुलिस निरीक्षक सह थानाध्यक्ष रमाशंकर सिंह, पुलिस अवर निरीक्षक सह थानाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार, पुलिस अवर निरीक्षक ललन सिंह, कोतवाली थाना रिजर्व गार्ड मोहम्मद रिजवान, सतीश कुमार सी, मनोज कुमार सिंह, संतोष कुमार सिंह, मल्लु कुमार सी, निरंजन कुमार सी, अजय कुमार ठाकुर को 10 -10 हजार रुपये की राशि सम्मान के रूप में दी गयी.

क्या कहते हैं अधिकारी

पटना के एसएसपी मनु महाराज ने मामले में कहा है कि इस मामले में चार मास्टरमाइंड का नाम सामने आया है और उन सभी को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की जा रही है. उन लोगों के पकड़े जाने के बाद ही स्पष्ट होगा कि वे लोग कैंडिडेट की लिस्ट व अन्य इंतजाम कैसे करते थे? संभावना जतायी जा रही है कि संबंधित विभाग या कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत से ही यह सारा खेल चल रहा था. जल्द ही पूरे मामले का खुलासा कर दिया जायेगा.

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