अगले दिन का कानन की शादी थी। उसी रात को स्वाति की विदाई कर आरती ने चैन की सांस ली। निधि सुबह को शादी से लौट कर आई। आरती ने राहत राहत महसूस किया कि निधि रात घर पर नहीं थी।

आरती नहीं चाहती थी की निधि कभी जाने कि जितनी मदद उसने आरती से मांगी थी आरती ने उससे ज्यादा किया।  स्वाति को जाते समय कुछ पैसे दिए और जहां वह जा रही थी वहां रहने वाले अपने मौसेरे भाई का नंबर दिया।  व्यवहारिक जिंदगी की जितनी बातें वह दो ढाई घंटे में समझा सकती थी उसने समझाया।  उसे कहा तुम पढ़ी लिखी हो सबसे पहले खुद को आर्थिक रूप से सबल करना। आशीष समय पर आ गया।

 उसका उर्जावान व्यक्तित्व देख कर उसे आकाश की याद हो आई। उसने स्वाति से कहा “निधि ने जितना मुझे बताया है मुझे लगा आकाश एक अच्छा लड़का है।“

“आकाश नहीं, आशीष नाम है आंटी “स्वाति ने उसे टोका तो वह झेंप गई। उसे लगा वह वर्तमान और अतीत को एक तार से जोड़ रही है।

स्वाति चली गई आरती को लगा मानो जो कील उसके दिल में सालों से चुभी थी वह निकल गई। उस दिन जब सुबह हुई उसे लगा की सूरज किरने कुछ ज्यादा ही चमकदार है और सुबह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत है।

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