निधि ने देखा माँ के चेहरे के भाव थोड़ा बदल से गए।  वह जानती है कि नाना की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। माँ चार बहनों में सबसे बड़ी थी।  इसी कारण माँ का विवाह मात्र 18 साल की उम्र में उनसे 10-12 साल बड़े केशव जी यानी उसके पापा से कर दिया गया था।  माँ और पापा का विवाह बेमेल था। उम्र और व्यक्तित्व दोनों मायनों में। माँ खूबसूरत थी और पापा अति साधारण।  

उसने जब भी देखा माँ को पापा से डांट पड़ते हुए ही देखा कभी दोनों को प्यार से बातें करते नहीं देखा। माँ पापा के सामने बिल्कुल दब्बू बन जाती थी। पापा का गुस्सा चुपचाप झेलती थी।इसका एक कारण यह भी था कि पापा दिल के मरीज थे। नाना ने जल्दी में बिना ज्यादा छानबीन के माँ की शादी कर दी थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही पता चला कि पापा को दिल की बीमारी है।

“अच्छा तो स्वाति के पापा उसके लिए लड़का ढूंढ रहे हैं।” निधि की तंद्रा को भांग करते हुए माँ ने कहा।

“हां मां, पिछली बार उसकी बुआ एक विधुर का रिश्ता लाई थी और इस बार एक 40 साल के बुड्ढे का। उसके पिता कहते हैं मेरी जो औकात है उसमें ऐसे ही लड़के मिल सकते हैं।“ माँ के हाथ सब्जी काटते हुए रुक गए वह धीरे से बुदबुदाई “पर यह गलत है।”

निधि को लगा उसकी बात सही दिशा में मुड़ रही है। उसने माँ का हाथ पकड़कर कहा “माँ मैं भी तो वही कहती हूं। कल स्वाति इसी कारण बहुत रो रही थी। माँ उसकी समस्या का एक समाधान है पर घर वाले मान नहीं रहे हैं।”

“क्या समाधान है बेटा” निधि को लगा माँ  बात ध्यान से सुन रही थी। वह जानती थी कि उसकी माँ पुराने विचारों वाली है इसलिए सारी बात बताने के पहले उसने कहा “बताऊंगी तो डांटना नहीं कि मैं इन सब बातों में क्यों पड़ती हूं।”

“ठीक है नही डाटूँगी।” माँ मुस्कुराई।

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