मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को घोड़ाकटोरा झील के बीचोबीच बनी देश की दूसरी सबसे ऊंची भगवान बुद्ध की धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा वाली प्रतिमा का अनावरण किया। घोड़ाकटोरा की वादियां एक घंटे तक बुद्ध शरणं गच्छामि के जाप से गूंजायमान होते रहा। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इसके गवाह बने। मुख्यमंत्री ईकोटूरिस्ट स्थली में बैट्री चालित वाहन से सुबह 11:20 बजे घोड़ाकटोरा झील पहुंचे।

वहां बौद्धिक रीति-रिवाज से हुए भगवान बुद्ध के प्रतिमा अनावरण समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री के जाने के पहले से ही वहां बौद्ध भिक्षुओं द्वारा पूजा की जा रही थी। बौद्ध भिक्षुओं ने एक डोर पूजा स्थल से लेकर प्रतिमा तक बांधी थी।

अनावरण समारोह की पूजा थेरावेदा पंरपरा से महाबोधि महाविहार बोधगया सोसायटी के (चालिंदा भंते) बौद्धानंत भंते, दृपानंद भंते ने की। उसके बाद राजगीर विश्व शांति स्तूप पर जापान के रहने वाले भिक्षु टी ओकेनोगी ने महायान परंपरा से पूजा की। तिब्बती परंपरा या लामा परंपरा से भी वैशिक लामा, आम जैला व गेलू ने मिलकर पूजा की। तीन परंपराओं के साथ भगवान बुद्ध की प्रतिमा अनावरण पूजा की गयी। इसमें बुद्ध बिहार सोसायटी के एन दोरजे, श्वेता महारथी व अरविन्द सिंह भी शामिल रहे।

प्रतिमा बनाने में लगे 20 हजार 200 आर्टिस्ट
भगवान बुद्ध की प्रतिमा धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा की 70 फीट ऊंची प्रतिमा को बनाने में 29 हजार 200 आर्टिस्टों को लगाया गया। निर्माण में प्रतिमा पर 9.11 करोड़ और पैडस्टल पर 3.65 करोड़ लागत आयी। इसके बनाने में 45 हजार घन फीट गुलाबी रंग का सैंड स्टोन लगाया गया है।

प्रतिमा की विशेषताएं
-देश की दूसरी सबसे ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा
-70 फीट ऊंची है प्रतिमा
-29,200 आर्टिस्टों ने किया प्रतिमा का निर्माण
-यूपी के चुनार से लाये गये गुलाबी रंग के सैंड स्टोन से बनायी गयी
-भगवान बुद्ध के धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा में बनायी गयी है प्रतिमा

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