शंख एवं शंखनाद के अनंत फायदे
शंख का महत्त्व धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, वैज्ञानिक रूप से भी है। हिन्दू धर्म में पूजा स्थल पर शंख रखने की परंपरा है क्योंकि शंख को सनातन धर्म का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन काल से ही प्रत्येक घर में पूजा-वेदी पर शंख की स्थापना की जाती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, शंख चन्द्रमा और सूर्य के समान ही देवस्वरूप है। इसके मध्य में वरुण , पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा और सरस्वती का निवास है। कहा जाता है कि शंख का स्पर्श पाकर जल गंगाजल के सदृश पवित्र हो जाता है। कोई भी पूजा , हवन , यज्ञ आदि संख के बिना अधूरी मानी जाती हैं | शंख एवं शंखनाद के अनंत फायदे हैं :- ये विघ्नहर्ता के साथ-साथ रोगनाशक भी हैं | आइये जाने इससे जुड़ी कुछ रोचक तथ्य जो हमारे लिए अनेक प्रकार से महत्वपूर्ण एवं फायदेमंद हैं |
शंख का वास्तु महत्व –
1 ) शंख का वास्तु के रूप में महत्त्व भी माना जाता है। वर्तमान समय में वास्तु-दोष के निवारण के लिए जिन चीज़ों का प्रयोग किया जाता है, उनमें से यदि शंख आदि का उपयोग किया जाए तो कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं।
2 ) यह न केवल वास्तु-दोषों को दूर करता है, बल्कि आरोग्य वृद्धि, आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, विवाह में विलंब जैसे अनेक दोषों का निराकरण एवं निवारण भी करता है।
3 ) इसे पापनाशक भी बताया जाता है। कहते है कि जिस घर में नियमित शंख ध्वनि होती है वहां कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है।
शंख पूजा का महत्त्व:
- सभी वैदिक कार्यों में शंख का विशेष स्थान है।
- शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना गया है, इसी वजह से आरती के बाद श्रद्धालुओं पर शंख से जल छिड़का जाता है।
- शंख को लक्ष्मी का भी प्रतीक माना जाता है, इसी वजह से जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख की पूजा करता है उसके घर में कभी धन अभाव नहीं रहता।
- साधारणत: मंदिर में रखे जाने वाले शंख उल्टे हाथ के तरफ खुलते हैं और बाज़ार में आसानी से ये कहीं भी मिल जाते हैं लेकिन क्या आपने कभी ध्यान से किसी लक्ष्मी के पूराने फोटो को ध्यान से देखा है इन चित्रो में लक्ष्मी के हाथ में जो शंख होता है वो दक्षिणावर्ती अर्थात सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले होते हैं।
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- वामावर्ती शंख को जहां विष्णु का स्वरुप माना जाता है और दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता है।
- दक्षिणावृत्त शंख घर में होने पर लक्ष्मी का घर में वास रहता है।
- तंत्र शास्त्र के अनुसार सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले शंख को यदि पूर्ण विधि-विधान के साथ करके इस शंख को लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर में अलग- अलग स्थान पर रखने से विभिन्न परेशानियों का हल हो सकता है।
- दक्षिणावर्ती शंख को तिज़ोरी मे रखा जाए तो घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। इसलिए घर में शंख रखा जाना शुभ माना जाता है।
शंखनाद / शंख बजाना:
- जैन , बौध , शाक्त , शैव , वैष्णव आदि सभी संप्रदायों में शंख ध्वनि शुभ मानी गई है।
- जहां तक तीन बार शंख बजाने की परंपरा है वह आदि, मध्य और अंत से जुड़ी है।
- शंखनाद सुनने वाले को सहज ही ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव हो जाता है और मस्तिष्क के विचारों में भी सकारात्मक बदलाव आ जाता है।
- आरती , धार्मिक उत्सव, हवन-क्रिया, राज्याभिषेक, गृह-प्रवेश, वास्तु-शांति आदि शुभ अवसरों पर शंख-ध्वनि से लाभ मिलता है।
- धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शंख बजाने से भूत-प्रेत, अज्ञान, रोग, दुराचार, पाप, दुषित विचार और गरीबी का नाश होता है।
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- महाभारत काल में श्रीकृष्ण द्वारा कई बार अपना पंचजन्य शंख बजाया गया था।
- पितृ-तर्पण में शंख की अहम भूमिका होती है।
- शंख में ओम ध्वनि प्रतिध्वनित होती है, इसलिए ॐ से ही वेद बने और वेद से ज्ञान का प्रसार हुआ।
- पुरानों और शास्त्रों में शंख ध्वनि को कल्याणकारी कहा गया है।
- आरती के समापन के बाद इसकी ध्वनि से मन को शांति मिलती है।
शंख के वैज्ञानिक महत्व:
- शंख का महत्त्व धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, वैज्ञानिक रूप से भी है। वैज्ञानिकों का मानना है की शंख ध्वनि से आसपास का वातावरण तथा पर्यावरण शुद्ध रहता है।
- आयुर्वेद के अनुसार शंखोदक भस्म से पेट की बीमारियाँ, पीलिया, कास प्लीहा यकृत, पथरी आदि रोग ठीक होते हैं।
- ऋषि श्रृंग की मान्यता है कि छोटे-छोटे बच्चों के शरीर पर छोटे-छोटे शंख बाँधने तथा शंख में जल भरकर अभिमंत्रित करके पिलाने से वाणी-दोष नहीं रहता है। बच्चा स्वस्थ रहता है।
- पुराणों में उल्लेख मिलता है कि मूक एवं श्वास रोगी हमेशा शंख बजायें तो बोलने की शक्ति पा सकते हैं।
- आयुर्वेदाचार्य डॉ.विनोद वर्मा के अनुसार रूक-रूक कर बोलने व हकलाने वाले यदि नित्य शंख-जल का पान करें, तो उन्हें आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा। दरअसल मूकता व हकलापन दूर करने के लिए शंख-जल एक महौषधि है।
- हृदय रोगी के लिए यह रामबाण औषधि है।
- दूध का आचमन कर कामधेनु शंख को कान के पास लगाने से `ॐ ‘ की ध्वनि का अनुभव किया जा सकता है। यह सभी मनोरथों को पूर्ण करता है।
- युजुर्वेद में कहा गया है किपूजा के समय जो व्यक्ति शंख-ध्वनि करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भगवान विष्णु के साथ आनंद करता है।
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- 1928 में बर्लिन यूनिवर्सिटी ने शंख ध्वनि का अनुसंधान करके यह सिद्ध किया कि इसकी ध्वनि कीटाणुओं को नष्ट करने कि उत्तम औषधि है।
- ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, पूजा के समय शंख में जल भरकर देवस्थान में रखने और उस जल से पूजन सामग्री धोने और घर के आस-पास छिड़कने से वातावरण शुद्ध रहता है। क्योकि शंख के जल में कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भूत शक्ति होती है।
- साथ ही शंख में रखा पानी पीना स्वास्थ्य और हमारी हड्डियों, दांतों के लिए बहुत लाभदायक है।
- शंख में गंधक, फास्फोरस और कैल्शियम जैसे उपयोगी पदार्थ मौजूद होते हैं। इससे इसमें मौजूद जल सुवासित और रोगाणु रहित हो जाता है। इसीलिए शास्त्रों में इसे महाऔषधि माना जाता है|
शंख हर युग में लोगों को आकर्षित करते रहे है। देव स्थान से लेकर युद्ध भूमि तक, सतयुग से लेकर आज तक शंखों का अपना एक अलग महत्त्व है।
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