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रक्षाबंधन : भाई बहन के प्रेम का प्रतीक

श्रावण का मास आते ही जहां मौसम में बिजली की चमक, वर्षा की रिमझिम और काले बादलों की घोर गर्जन सुनने को मिलती है तो वही भाई बहनों के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार भी श्रावण मास का एक शोभा है। रक्षाबंधन हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्रावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन त्यौहार को राखी भी कहते हैं।

रक्षाबंधन के दिन, बहन अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाती है, दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती है और फिर मिठाई खिलाकर, आरती कर भाई की लंबी उम्र की मंगल कामना करती है। भाई भी अपनी बहन को सामर्थ्य अनुसार उपहार भेंट करता है और इस प्रकार दोनों भाई बहन एक दूसरे के प्रति अपने लगाव और स्नेह का परिचय देतें है। जहां एक और राखी स्नेह और लगाव का प्रतीक है तो वहीं दूसरी ओर बहन भाइयों को राखी बांध अपनी रक्षा का भार भी सौंपती है और भाई भी जीवनभर अपनी बहन की रक्षा करने और उसे हर मुसीबत से बचाने का प्रण लेता है। जिसके भाई दूर रहते है, बहने उन्हें राखी डाक से भेजती है और उसके सुखमय जीवन की कामना करती है।

ऐसा माना जाता है कि अगर भाई बहन के बीच किसी प्रकार का मनमुटाव है तो ये सारे लड़ाई झगड़े राखी बांधने से खत्म हो जाते है और फिर प्रेम और स्नेह का भाव उमर आता है। जिनके अपने भाई नहीं होते वें नाते-रिश्ते के भाइयों को राखी बांधती है। कुछ बहने राखी खरीदतीं है तो कुछ अपने हाथों से राखी बना कर भाइयों के कलाई की शोभा बढ़ाती है। चांदी के, सोने के, सुंदर और आकर्षित डिज़ाइन के राखी की खूब बिक्री होती है। बेन टेन, छोटा भीम आदि जैसे कार्टून के राखी भी बाजार में मिलते है जो काफी प्यारे होते है। ऐसे राखी बहने अपने छोटे भाइयों को बांधती है।

क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन ?

रक्षाबंधन के विषय में अनेक पौराणिक कथा प्रचलित है जिनमें से कुछ काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि एक बार दैत्यों ने इंद्र पर विजय प्राप्त कर लिया था तब इंद्राणी ने श्रावणी पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों से इंद्र के हाथ में ‘रक्षासूत्र’ बँधवाया था। फलस्वरूप इंद्र युद्ध में विजयी हुए और उसी दिन की पवित्र स्मृति में ‘रक्षाबंधन’ का त्योहार मनाया जाने लगा। महान ऐतिहासिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार जब एक बार भगवान कृष्ण, पांडवों के साथ पतंग उड़ा रहे थे तब उस समय धागे की वजह से उनकी अंगुली कट गई ।तब द्रोपदी ने बहते खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी का कपड़ा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया था।

भगवान कृष्ण द्रोपदी के इस प्रेम से इतने भावुक हो गए थे कि उन्होंने द्रोपदी को आजीवन सुरक्षा का वचन दिया। कृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा भी की जब कौरव राजसभा में द्रोपदी की साड़ी उतार रहे थे, उस वक़्त कृष्ण ने उस छोटे से कपड़े को इतना बड़ा बना दिया था कि कौरव उसे खोल नहीं पाए। इसी के फलस्वरूप रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा। भाई और बहन के प्रतीक रक्षा बंधन से जुड़ी एक अन्य रोचक कहानी भी है, मौत के देवता भगवान यम और यमुना नदी की।

पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना ने एक बार भगवान यम की कलाई पर धागा बांधा था। वह बहन के तौर पर भाई के प्रति अपने प्रेम का इजहार करना चाहती थी। भगवान यम इस बात से इतने प्रभावित हुए कि यमुना की सुरक्षा का वचन देने के साथ ही उन्होंने अमरता का वरदान भी दे दिया। साथ ही उन्होंने यह भी वचन दिया कि जो भाई अपनी बहन की मदद करेगा, उसे वह लंबी आयु का वरदान देंगे।

अनोखे अंदाज में मनाए राखी

रक्षाबंधन के दिन बहने भाइयों को राखी बांध कर उनकी लंबी आयु की कामना करती है। ठीक इसी प्रकार अगर हरेक बहने पेड़ पौधों को राखी बांधे और प्रण ले की न पेड़ काटेंगे, न पेड़ किसी को काटने देंगे तो इससे पेड़ की भी लंबी आयु होगी क्योंकि पेड़ है तभी हम है। साथ ही इस रक्षाबंधन बहनों को उन लोगों को भी राखी बांधनी चाहिए जिन्हें वो जानती नही है लेकिन फिर भी वे लोग उनकी रक्षा करते है और सुरक्षा प्रदान करते है जैसे रिक्शावाला, ऑटोवाला, ट्रैफिक पुलिस, पुलिसमैन तथा आर्मीमैन।

रिक्शावाला, ऑटोवाला को राखी बांधकर बहनें भाई-बहन का प्रेम उजागर कर सकती है जिससे ऑटोवाला, रिक्शावाला के मन मे लड़कियो के प्रति अगर गंदे भाव है तो वो इस राखी कुछ हद तक समाप्त हो सकते है। ट्रैफिक पुलिस, पुलिसमैन, आर्मीमैन को राखी बांधकर बहनें अपने भाई के प्रति प्रेम का इज़हार कर सकती है जो उन लोगो के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन कर सामने आएगा जिससे वें और भी तन मन और लगन के साथ देश की मिट्टी और महिलाओं की, बहनों की रक्षा करेंगे।

दूसरों की बहनों को भी सम्मान दें

ऐसा अक्सर देखा जाता है कि भाई अपने बहन से राखी बंधवालेता है और उसकी रक्षा का प्रण भी ले लेता है लेकिन दूसरों की बहनों की कदर नही करता, सम्मान नही देता। हर लड़ाई झगड़े में माँ बहन की गालियां सुनने को मिलती है। अगर दो लड़कों के बीच मनमुटाव और झगड़े की स्तिथि बनी हुई है तो आपस मे सुलह करने के बजाए वे सीधे एक दूसरे के माँ बहनों को गाली देते है और अगर बदले की आग हो तो दूसरे की बहन के जिंदगी उजाड़ने मे और इज़्जत लूटने में भी नहीं चूकते है और इसी वजह से अपराध का स्तर दिन ब दिन बढ़ रहा है। इस राखी के पावन अवसर पर वक्त है कि हरेक भाई अपने बहन के साथ साथ दूसरी बहनों को भी इज़्जत दे। दूसरी की माँ बहनों को सम्मान दे और उनकी रक्षा का भी प्रण लें।

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