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पेट्रोल डीजल में लगी आग कब बूझेगी?

देश में डीजल और पेट्रोल के दाम में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण जनता काफी परेशान है। अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चूका डीजल और पेट्रोल के दाम कभी इतने ज्यादा नहीं थे, जितने आज हैं। देश के हजारों से ज़्यादा पेट्रोल पम्पों पर एक दिन में लाखों वाहन ईंधन लेते हैं लेकिन ये तय नहीं कि किस दिन पेट्रोल और डीज़ल के दाम कितने होंगे। अब सवाल यही उठता है कि आखिर इतने वक्त में डीजल और पेट्रोल के दाम में इतनी बड़ी बढ़ोत्तरी क्यों? आखिर क्या है वो तरीका जिससे दिन ब दिन पैट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे है?

पेट्रोल और डीजल के दाम में इज़ाफ़ा तब से है जब उदयपुर, जमशेदपुर, विशाखापट्टनम, पुडुचेरी और चंडीगढ़ के पांच शहरों में एक मई 2017 से 40 दिनों का पायलट, सरकार द्वारा शुरू किया गया था। इसी आधार पर सरकार ने देश के अन्य राज्यों में भी प्रतिदिन पेट्रोल और डीज़ल के कीमत में बदलावों की व्यवस्था शुरू की। पिछले साल जून 2017 से देशभर में सभी पेट्रोल पंपों पर तेल की कीमतें रोज तय की जा रही है। कांग्रेस के शासन में पेट्रोल डीजल के दाम हर महीने तय किये जाते थे। विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैं, इसी आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमत तय की जाती है। आज, कच्चा तेल पेट्रोल के लिए प्रमुख कच्चा माल है।

भारत में कच्चे तेल की 75% जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। जिससे, कच्चे तेल और विदेशी मुद्रा दरों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भारत में पेट्रोल की कीमत का आधार बन जाता है, पर यह आधार पेट्रोल डीजल के कीमत का केवल एक छोटा सा हिस्सा तय करता हैं। अंतिम मूल्य अन्य कारकों के द्वारा निर्धारित किया जाता है जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार के उत्पाद शुल्क शामिल होते है।

मौजूदा समय में पेट्रोल पर केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी 19.48 रुपये रुपये हैं, जबकि डीजल पर 15.33 रुपये। राज्यों में सेल्स टैक्स और वैट की अलग-अलग दरों के आधार पर ही पेट्रोल और डीजल की अलग-अलग कीमतें हैं। मौजूदा, महाराष्ट्र सरकार पेट्रोल पर सबसे ज्यादा वैट वसूल रही है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 38.76 रुपये वैट वसूला जाता है। वैट से राज्यांश के हिसाब से महाराष्ट्र सरकार को प्रति लीटर पेट्रोल पर 24 रुपये, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश को 22, पंजाब को 21 रुपये, तेलंगाना को 20 रुपये मिल रहे है। इस सूची में पश्चिम बंगाल और दिल्ली 11 वें और 15 वें नंबर पर आते हैं। केंद्र सरकार को प्रति लीटर पेट्रोल पर 9.48 रुपये वैट का हिस्सा मिलता है।

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आरोप प्रत्यारोप का मामला कब तक ?

पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम ने विपक्ष को खुल कर मौका दिया है केंद्र सरकार पर धावा बोलने का। आये दिन विपक्ष पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम पर ट्वीट करती है, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बयान देती है, जो एक हेडलाइन बन कर सामने आता है। पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम की वजह से हर रोज सरकार से सवाल किए जाते है लेकिन सरकार के तरफ से कोई राहत मिलती हुई नजर नही आ रही है। पेट्रोल डीजल पे इतनी ज्यादा एक्साइज ड्यूटी होने पर सरकार केवल इतना कहती है की कीमतों का बढ़ना उसके हाथ में नहीं है। बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली एक्साइज ड्यूटी घटाने की संभावना से इनकार कर चुके हैं। इस बढ़ोतरी में राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 80 रुपये के पार जा चुका है तो वही मुम्बई में 90 रुपये के पार। देश मे सबसे महंगा पेट्रोल अभी महाराष्ट्र में मिल रहा है। अब वो दिन दूर नही जब तेल की कीमत 100 के पार होगी।

विपक्ष और केंद्र सरकार के राजनीति में पिस रहा है जनता

पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतो के खिलाफं कांग्रेस ने भारत बंद किया था। कांग्रेस पार्टी के भारत बंद को 16 पार्टियों का समर्थन मिला. विपक्ष ने भारत बंद सफल होने का दावा किया तो वहीं बीजेपी ने बंद के नाम पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया. बंद के दौरान गाड़ी नहीं मिलने की वजह से बिहार के जहानाबाद में बच्ची की मौत का मामला भी सामने आया। जिसके ऊपर बीजेपी ने राहुल गांधी से जवाब मांगा लेकिन उत्तर तेजस्वी यादव ने दिया कि जहानाबाद के ज़िलाधिकारी के अनुसार बच्ची की मौत बंद से नहीं हुई। लेकिन इन सब के बीच तो केवल एक ही बात महत्व देती है की केंद्र सरकार हो या विपक्ष दोनो अपने कार्य से मुश्किल में सिर्फ जनता को डाल रही है।

सरकार के तरफ से पेट्रोल डीजल के कीमतों में कमी के कोई संभावना नही दिख रही है, जिसे झेल कौन रहा है? जनता। ठीक उसी तरह विपक्ष केंद्र सरकार के पेट्रोल डीजल के कीमतों में कमी न लाने की वजह से भारत बंद का ऐलान तो करती है लेकिन भारत बंदी में गाड़ियों में आग लगाना, तोड़ फोड़ करना, इन सबको को कौन झेलता है? जनता। पर इसके बावजूद भी स्तिथि जस के तस है।

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