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पटना मेट्रो : जंक्शन से बैरिया तक बनेंगे 12 स्टेशन

 

पटना मेट्रो के नार्थ-साउथ कॉरिडोर में मेट्रो चलाने को लेकर कवायद तेज हो गयी है। पटना जंक्शन से बैरिया के बीच साढ़े 14 किमी की दूरी में पटना मेट्रो के 12 स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर में जिन स्टेशनों के नाम पर विचार चल रहा है उसमें पटना जंक्शन के बाद आकाशवाणी, गांधी मैदान, पीएमसीएच, पटना विश्वविद्यालय,  प्रेमचंद रंगशाला, राजेन्द्रनगर, नालंदा मेडिकल कॉलेज, कुम्हरार, गांधी सेतु, जीरो माइल, आईएसबीटी आदि हैं। यात्रियों के अधिक दबाव को देखते हुए इस कॉरिडोर पर कम दूरी में ज्यादा स्टेशन रखे गए हैं।
कॉरिडोर डाकबंगला, अशोक राजपथ, राजेंद्रनगर से फिर बैरिया तक जाएगा। इन स्टेशनों की डिजाइन, लुक आदि पर भी काम चल रहा है। प्रत्येक मेट्रो स्टेशन सामान्य रूप से 100 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा होता है। इसी के अनुसार मेट्रो स्टेशनों का डिजाइन तैयार होगा। जून के अंत तक डीपीआर तैयार कर लिया जाएगा।
राजेन्द्र नगर तक मेट्रो अंडरग्राउंड :
पटना जंक्शन से बैरिया तक जानेवाली पटना मेट्रो रूट में स्टेशन से राजेन्द्रनगर तक सड़कों की चौड़ाई काफी सीमित है। मेट्रो से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी हालत में इस इलाके में सड़क के अंदर मेट्रो लाइन बिछाना ही एकमात्र उपाय है। राजेन्द्रनगर के बाद सड़क की चौड़ाई अधिक होने के कारण मेट्रो सड़क के ऊपर से दौड़ सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो पटना जंक्शन से अंडरग्राउंड ट्रैक डाकबंगला चौराहा, गांधी मैदान, अशोक राजपथ, पीएमसीएच, पटना कॉलेज और साइंस कॉलेज होते हुए दक्षिण की तरफ मुड़ जाएगी। बाद में यह प्रेमचंद रंगशाला होते हुए राजेन्द्रनगर तक पहुंचेगी। यहां से मेट्रो सड़क के ऊपर एनएमसीएच, भूतनाथ, धनुकी मोड़ होते हुए जीरो माइल पहुंचेगी। इसके बाद पटना-गया रूट होते हुए अपने अंतिम पड़ाव बैरिया पहुंचेगी।
राइडरशिप इस्टीमेट के अनुसार होंगे स्टेशन :
मेट्रो से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि राइडरशिप इस्टीमेट मेट्रो के डीपीआर का पार्ट है। इस समय यह कार्य राइट्स के द्वारा किया जा रहा है। पटना मेट्रो स्टेशन दूरी के अनुसार नहीं बल्कि राइडरशिप इस्टीमेट के अनुसार बनाया जाएगा। जिन इलाकों में स्टेशन पर ज्यादा लोड नजर आएगा उन इलाकों में स्टेशन बनाया जाना है।
एनआईटी कर रहा अध्ययन :
मेट्रो जिन सड़कों से होकर गुजरेगी उन सड़कों की चौड़ाई और मेट्रो रूट बिछाने के दौरान आने वाली समस्या का भी अध्ययन एनआईटी द्वारा कराया जा रहा है। एक महीने के भीतर करके राइट्स को सौंप दी जाएगी। अध्ययन में ट्रैफिक लोड के अलावा पार्किंग के लिए भी योजनाएं बनाई जा रही हैं। इसके अलावा पैदल यात्रियों की सुविधा का भी ख्याल रखा जा रहा है। एनआईटी के प्रोफेसर और मेट्रो प्रोजेक्ट का अध्ययन करनेवाली टीम से जुड़े प्रो. संजीव सिन्हा ने बताया कि अध्ययन में मेट्रो बनने के बाद उन सड़कों पर बढ़ने वाले ट्रैफिक दबाव और उनसे निपटने के उपायों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

 

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