विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने की केंद्र की मुहिम को बड़ी कामयाबी मिली है। आयकर विभाग को करीब 70 देशों से कालेधन के सुराग मिले हैं। विभाग को विदेशी लेनदेन से जुड़ी 30 हजार से ज्यादा जानकारियां मिली हैं, जिनमें कई संदिग्ध बताई जा रही हैं।

संदिग्ध लेनदेन को लेकर आयकर विभाग ने इनमें से करीब 400 लोगों को नोटिस भी भेजा है। आयकर विभाग के सूत्रों ने हिन्दुस्तान को बताया कि वित्तीय सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के करार के तहत अलग-अलग देशों की तरफ से जानकारी साझा की गई हैं। आयकर विभाग ने सितंबर में मिली इस जानकारी के आधार पर गहन छानबीन और कार्रवाई शुरू कर दी है। हालांकि विभाग ये मानकर चल रहा है कि 30 हजार लेन-देन में से सभी कालेधन की श्रेणी में नहीं होंगे। तमाम वैध लेनदेन भी हो सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग देशों के साथ भारत ने वित्तीय जानकारी साझा करने के अनुबंध किए हैं, जिससे यह जानकारियां मिल रही हैं।

विदेशी लेनदेन का आयकर रिटर्न से मिलान :
विदेशों से हुए वित्तीय लेनदेन का मिलान संबंधित लोगों के आयकर रिटर्न से भी किया जा रहा है। इसमें एनआरआई और अरबों की संपत्ति के मालिक हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल यानी एचएनआई शामिल हैं। इनके रिटर्न और लेनदेन में तालमेल नहीं दिख रहा है, उन्हें नोटिस भेजे जाने शुरू हो गए हैं। नोटिस का संतोषजनक जवाब न देने पर सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।

स्विस बैंक सबसे बड़ा केंद्र :
बैंकिंग गोपनीयता को तवज्जो देने वाला स्विट्जरलैंड विदेश में भारतीयों के कालेधन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। प्रधानमंत्री ने जी-20 सम्मेलन में हर बार वित्तीय सूचनाओं के स्वत: लेनदेन को कालेधन के खात्मे के लिए जरूरी बताया है। इसके बाद स्विट्जरलैंड राजी हुआ।

80 से ज्यादा देशों को करार :
भारत अब तक 80 से ज्यादा देशों के साथ वित्तीय लेनदेन की जानकारी साझा करने का करार कर चुका है। इसमें स्विट्जरलैंड से 21 दिसंबर 2017 को करार पूरा हुआ था। इसके तहत जनवरी 2019 से जानकारी मिलना शुरू हो जाएगी।

30 से 35 हजार करोड़ का कालाधन स्विट्जरलैंड में होने का अनुमान।

90 हजार भारतीयों के लेनदेन का पता चला था पनामा पेपर्स लीक से।

05 बड़े देशों में तीसरे स्थान पर भारत विदेश में कालाधन के मामले में।

12 हजार करोड़ से 1.5 लाख करोड़ रुपये का कालाधन विदेश में 

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