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मंत्रीगण के बेबाक बोल

आज कल नेताओं में एक अलग ही कवायद देखी जा रही है। ये अपने अच्छे या बुरे काम की वजह से चर्चित नहीं हो रहे हैं बल्कि अटपटे बयान देने से चर्चे में हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने एक बड़ा ही विवादास्पद बयान दिया है। दिनेश शर्मा ने 31 मई को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित एक समारोह में सीता माता के जन्म की तुलना टेस्ट बेबी ट्यूब की अवधारणा से कर दी। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि सीता जी का जन्म धरती के अंदर से निकले घड़े में हुआ, इसका मतलब है कि रामायण काल में भी टेस्ट ट्यूब बेबी की अवधारणा जरूर रही होगी। उसके बाद सीतामढ़ी में इनके खिलाफ केस दर्ज हो गया है।

अधिवक्ता ठाकुर चंदन कुमार सिंह ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सरोज कुमारी की अदालत में अपनी शिकायत दर्ज करते हुए यूपी के उपमुख्यमंत्री पर गंभीर दंडात्मक कार्रवाई का अनुरोध किया है। याचिका को अपर मुख्य दंडाधिकारी ज्योति कुमारी की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसकी सुनवाई 8 जून को होगी। यही नहीं इससे पहले भी 30 मई, पत्रकारिता दिवस पर भी इन्होंने एक बयान दिया था। जिसमें इन्होंने कहा था कि महाभारत काल से ही पत्रकारिता की शुरुआत हो चुकी थी। साथ ही इन्होंने यह भी कहा था कि पौराणिक पात्रों ‘संजय’ और ‘नारद’ को वर्तमान समय में सीधे प्रसारण और गूगल से जोड़कर देखा जा सकता है। तभी तो संजय महाभारत की लाइव रिपोर्टिंग धृतराष्ट्र को करते थे।

बता दें कि इससे पहले त्रिपुरा के सीएम बिप्लव देव भी अपने अजीबो गरीब टिप्पणियों के कारण बहुचर्चित हुए थे। उन्होंने भी कई विवादास्पद बयान दिए थे जिसके बाद वो सोशल मीडिया पर छाए हुए थे। पहले उन्होंने अभिनेत्री डायना हेडेन की सुंदरता पर विवादित बयान देते हुए कहा कि सौंदर्य प्रतियोगिताएं एक मजाक होती हैं क्योंकि इनके परिणाम पूर्व निर्धारित होते हैं। ऐश्वर्या राय भारतीय सुंदरता का प्रतिनिधित्व करती है। विश्व सुंदरी प्रतियोगिता में उन्हें चुना जाना ठीक है लेकिन मुझे डायना हेडेन की सुंदरता समझ में नहीं आई।इसपर भी वो नही थमे और मेकैनिकल इंजिनीरिंग पृष्ठभूमि वाले लोगों को सिविल सेवाओं का चयन ना करने का सलाह दे दिया था। उनके अनुसार सिविल सेवा हरफनमौला लोगों के लिए होती है। युवा अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय यहां-वहां सरकारी नौकरी की तलाश करने में बर्बाद करते है। ऐसा करने के बजाय उन्हें पान की दुकान लगानी चाहिए। इससे अब तक उनके बैंक खाते में अबतक पांच लाख रुपए जमा होते। साथ ही युवाओं को डेयरी उद्योग में करियर बनाने और गाय पालने की भी सलाह दी थी।

इन्होंने भी देश में महाभारत काल से ही तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध होने की बात कही थी। जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल हैं। उनका मानना है कि बीच में बहुत बदलाव आया है लेकिन उस ज़माने से ही तकनीक की सुविधा उपलब्ध थी। इनके इन बयानों के बाद नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने इनसे दिल्ली में मुलाकात भी की थी।

बात सिर्फ इन्ही दोनों की नही है। कुछ और माननीय नेतागण है जिन्हें इस तरह के बेबाक बयान जनता के सामने देने का शौक है। इससे पहले मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने डार्विन के जैविक विकास के सिद्धांत को गलत बताया था। यही नहीं इन्होंने न्यूटन के गति के नियमों को लेकर भी नया दावा किया था। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की एक बैठक में सत्यपाल सिंह ने कहा कि न्यूटन से बहुत पहले भारत में मंत्रों के जरिए गति के नियम बता दिए गए थे। खबरों के मुताबिक उनका कहना था, ‘ऐसे मंत्र हैं जो न्यूटन द्वारा खोजे जाने से पहले गति के कानून में संहिताबद्ध थे इसलिए, यह आवश्यक है कि परंपरागत ज्ञान हमारे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए’।

इन सभी माननीयों के बयानों को देखकर लगता है कि यह बस किसी भी तरह खबरों में बने रहना चाहते हैं। इनसे इनके सामान्य ज्ञान की भी कलई खुलती है। जिन नेताओं को हम जनता ने खुद चुनाव कर इतने ऊंचे मुकाम पर, सत्ता में लाया है, अगर वे इस प्रकार की बयानबाजी करेंगे तो वे जनता के लिए बस एक मज़ाक बनकर रह जाएंगे। अगर उन्हें लगता है कि ये नए हथकंडे अपना कर वे और प्रसिद्ध हो जाएंगे, तो ये उनकी गलत सोच है।

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