3खास है मंदिर की रूप रेखा

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अष्‍टकोणीय योजना में पूरी तरह से प्रस्‍तर-खंडों से निर्मित इस मंदिर की दीवारों पर सुंदर ताखे, अर्धस्‍तंभ और घट-पल्‍लव के अलंकरण बने हैं। दरवाज़े के चौखटों पर द्वार-पाल और गंगा-यमुना आदि की मूर्तियां उत्‍कीर्ण हैं। मंदिर के भीतर चतुर्मुख शिवलिंग और मुंडेश्‍वरी भवानी की प्रतिमा है। है। भगवान शिव की अष्ट मूर्तियों का जैसा वर्णन अथर्ववेद में किया गया है और उसी प्रकार का शिवलिंग मुंडेश्‍वरी शक्तिपीठ में आज भी देखा जा सकता है।

यहां माता की साढ़े तीन फीट की काले पत्थर की प्रतिमा है, जो भैंस पर सवार है।पहाड़ी पर बिखरे हुए पत्थर एवं स्तम्भ पर श्रीयंत्र सरीखे कई सिद्ध यंत्र एवं मंत्र उत्कीर्ण हैं। ऐसा लगता है कि पहाड़ी के पूर्वी-उत्तरी क्षेत्र में माता मुण्डेश्वरी का मंदिर स्थापित रहा होगा और उसके चारों तरफ विभिन्न देवी-देवताओं के मूर्तियां स्थापित थीं।मंदिर का शिखर नष्‍ट हो चुका है और इसकी छत नयी है। खुदाई के दौरान यंहा मूर्तियाँ मिलती रही हैं। यहाँ खुदाई के क्रम में मंदिरों के समूह भी मिले हैं। 1968 में पुरातत्व विभाग ने यहाँ की 97 दुर्लभ मूर्तियों को सुरक्षा की दृष्टि से ‘पटना संग्रहालय’ में रखवा दिया। तीन मूर्तियाँ ‘कोलकाता संग्रहालय’ में रखी हुई है। पहाड़ी पर एक गुफा भी है जिसे सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है।

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