बिहार के छपरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। परिजन बच्चे के शव को लेकर घर पहुंचे और उसे दफनाने की तैयारी में जुट गए। कफन तक खरीद लिया गया। इस बीच अचानक बच्चे की सांसे चलने लगी। आनन-फानन में बच्चे को दुबारा सदर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने फिर से इलाज शुरू कर दिया। लेकिन कुछ देर बाद बच्चे की मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने सदर अस्पताल में जमकर हंगामा किया। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची भगवान बाजार व टाउन थाने की पुलिस ने किसी तरह परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया।

बता दें कि टाउन थाना क्षेत्र के रूपगंज सुंदर दास मठिया के समीप एक पुरानी छत का छज्जा गिरने से सात साल का बच्चा गंभीर रूप से जख्मी हो गया। परिजन घायल बच्चे को लेकर छपरा सदर अस्पताल पहुंचे। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने इलाज के दौरान कहा कि बच्चे की मौत हो गई है। उसके बाद परिजन बच्चे के शव को लेकर घर चले गए। मृतक अंश कुमार उर्फ नुनु के पिता बबलू कुमार श्रीवास्तव में बताया कि वह ऑटो चलाते हैं और एक ही बेटा था। डॉक्टर ने जब बच्चे को मृत घोषित कर दिया तो हम उसे घर लेकर चले गये। अंतिम संस्कार के लिए कफन भी खरीद कर लपेट दिया गया था। उसके बाद अचानक बच्चे ने सांस लेना शुरू कर दिया।

बच्चे की सांस चलती देख परिजन दुबारा उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। फिर डॉक्टर ने इलाज शुरू कर दिया। उसे स्लाइन और अन्य इंजेक्शन चलाया गया। उसके थोड़ी बाद कहा गया कि बच्चे की मौत हो गई। इसी बात से नाराज होकर परिजनों ने डॉक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि इलाज में कोताही बरती गई है। यही कारण है कि बच्चे की मौत हो गई।

घटना की सूचना मिलने के बाद छपरा सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राम इकबाल प्रसाद मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिये। वहीं इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा कि कोई कोताही नहीं बरती गयी है। देर शाम बच्चे के शव का पोस्टमार्टम छपरा सदर अस्पताल में कराया गया। अंतिम समाचार लिखे जाने तक एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही थी।

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