1जानिये बिच्छु वाले बाबा से जुडी पूरी कहानी और इस दरगाह के बारे में

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Dargah shareef in amroha uttarpradesh: सांप बिच्छू का नाम आते ही लोगों के सामने मौत का मंजर छा जाता है। क्या कभी आपने हाथों में बिच्छू को रखने की कल्पना की है? नहीं न, क्योंकि बिच्छू के काटते ही कुछ घंटो में मौत होना तय है लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं।

एक ऐसी जगह के बारे में जहां हज़ारों जहरीले बिच्छू होने के बाद भी वह आपको नहीं काटते। इस मजार पर रहने वाले जहरीले बिच्छू किसी को काटते नहीं, आप चाहें तो उन्‍हें घर भी ले जा सकते हैं लेकिन तय समय के अंदर इन्‍हें वापस छोड़ना होता है, नहीं तो नतीजा खतरनाक होता है।

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक दरगाह है, जिसकी छतों, दीवारों और आस-पास के बगीचे के पेड़ों की जड़ों के पास से मिट्टी हटाने पर ढेरों बिच्छू निकलते हैं। करीब 800 साल पहले ईरान से सैयद सरबुद्दीन सहायवलायत ने अमरोहा में आकर डेरा डाला था।

यहां रह पहले से रह रहे बाबा शाह नसरुद्दीन ने इस पर एतराज जताया और एक कटोरे में पानी भरकर उनके पास भेजा। बिच्छू वाले बाबा ने कटोरे के ऊपर एक फूल रखकर उसे वापस कर दिया और कहा हम इस शहर में ऐसे रहेंगे जैसे कटोरे में पानी के ऊपर फूल।

बाबा को बददुआ

इस पर बाबा शाहनसुरद्दीन ने बिच्छू वाले बाबा को बददुआ दी इस दरगाह में सांप-बिच्छू निवास करेंगे और शहर के खोए हुए गधे, घोड़े यहां मिलेंगे। इसके उत्तर में बिच्छू वाले बाबा ने हुक्म दिया कि आज से इस दरगाह में सांप बिच्छू किसी को काटोंगे नहीं और इसकी सीमा के भीतर कोई भी गधा, घोड़ा पेशाब या लीद आदि नहीं करेगा।

इसके बाद सैयद सरबुद्दीन सहायवलायत बिच्छू वाले बाबा के नाम से जाने जाने लगे। यह भी कहा जाता है कि सांप, बिच्छू दरगाह के आस-पास किसी को भी नहीं काटते लेकिन दरगाह के बाहर निकलते ही वे आदमी को डस लेते हैं। यहां यह भी मान्यता है कि कोई व्यक्ति इन बिच्छुओं को सप्ताह या दस दिन के लिए बाबा से इजाजत लेकर दरगाह से बाहर कहीं ले जाता है तो वे उसे नहीं काटते लेकिन निर्धारित अवधि पूरी होते ही वे उसे तुरंत काट लेते हैं।

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