हर मर्ज़ की दवा : पिता
हर मर्ज़ की दवा : पिता
इस आधुनिक युग में हमने कुछ सीखा हो या नही पर हर दिन को एक अलग दिवस के रूप...
क्या मेरा वजूद, इतना ही है इस जहां में ?
क्या मेरा वजूद, इतना ही है इस जहां में?
क्या लड़ नहीं सकती मैं?
अपने अस्तित्व के लिए?
या फिर पैदा ही हुई इस गुलिस्तां में_
अपने संसार...
My Shadow : By -Riecha Sambhari
My Shadow*
I woke up in the morning
A voice of Quran, temple’s bell ring
In the dark room, full of air
I felt myself too alone
Is there...
हाँ ये उन दिनों की बात है!! (Remembering Childhood )
हाँ ये उन दिनों की बात है!! (Remembering Childhood )
हाँ ये उन दिनों की बात है,
जब पतंगों के साथ खुद भी लगते थे उड़ने
हाँ...
काव्य सरिता/- “छात्र का दुःस्वप्न” रचना- उधव कृष्ण..👉लिंक पर क्लिक कर पढ़े..
poem on night mare of a student by a student
वो यादों वाला इश्क़
वो यादों वाला इश्क़
क्या उसको भी याद होगी,
उसकी वो पहली गुस्ताखी_
जब मेरे लिए,
वो अपनों का दिल तोड़ आया था।
सच में, क्या याद होगा उससे_
मेरी...
मानव
मानव
मानव हूँ मैं,कृति भगवान की..
मुझे स्थिरता प्रदान करो
जैसा भी हूँ मैं,मुझे स्वीकार करो..
रंग रूप संसार के,समाहित करूँ कैसे
जितनी रिक्तियाँ थीं,भर दीं
अब और रिक्तियाँ लाऊँ...
अंगारे
अंगारे
तु मेरी दुनिया,
तू ही मेरा जहां।
तुझे खोजता फिरे है,
बावरा मन मेरा।
आंखें खोल के जो देखूँ,
वो ख्वाब है तू।
हर लम्हा तलाशु,
वो जवाब है तू।
जिसे लिख...
अब तू पूरा सा लगे (Ab Tu Pura Sa Lage )
अब तू पूरा सा लगे (Ab Tu Pura Sa Lage )
तुझे लप्रेक से लपेटू
तू अधूरा सा लगे |
तुझे शायरी से लपेटू
तू अधूरा सा लगे...
हर रोज
मैं हर रोज
मैं हर रोज ख्वाबों से लड़ती ,
क्यों आने देते हो , उस जालिम को बेवजह
मैं हर रोज धड़कन से पूछती
क्यों नहीं रुक...