लोग आज कल के …
हो गए है लोग आज कल
किसी तहसीलदार की तरह ...
लगता है जैसे,
विश्वास को सूद का व्यपार समझ रखा हैं,
कहते फिरते है लोग आज कल
मैंने...
मधुशाला : बिहारी संस्करण
(हरिवंशराय 'बच्चन' की स्मृति को विनम्र अभिवादन कर)
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पटना छपरा दरभंगा तक
सूख गया रस का प्याला
हाजीपुर के पुल पर केले
अब बेच रही है मधुबाला
महफिल अब...
क्या मेरा वजूद, इतना ही है इस जहां में ?
क्या मेरा वजूद, इतना ही है इस जहां में?
क्या लड़ नहीं सकती मैं?
अपने अस्तित्व के लिए?
या फिर पैदा ही हुई इस गुलिस्तां में_
अपने संसार...
फादर्स डे विशेष : पिता को समर्पित कुछ कविताओं का संकलन
फादर्स डे विशेष : पिता को समर्पित कुछ कविताओं का संकलन
पिता दुनिया का ऐसा व्यक्ति हैं जो जिंदगी भर अपने परिवार के लिए मेहनत...
मेरा वो दो रंगा साथी ।।
एक हक़ के साथ गढ़ रखा था मैंने,
मेरे नाम को
पहले ही पन्ने पर।।
खफ़ा है आज वो मुझसे ,
किसी दोस्त की तरह,
और खफ़ा हो भी...
काव्य सरिता/- “छात्र का दुःस्वप्न” रचना- उधव कृष्ण..👉लिंक पर क्लिक कर पढ़े..
poem on night mare of a student by a student
बस एक तमन्ना है मेरी
बस एक तमन्ना है मेरी
बस एक तमन्ना है मेरी ,
क्या कर दोगे वो तुम पूरी,
मैं चाहूं गर सोना,
हो अमन का बिछौना ,
चैन की...
जरा और जर्रा-जर्रा
जरा और जर्रा-जर्रा
वो आकर कुछ कह गए,
गिला तो तुमने फिर भी किया।
सिलसिला उनकी चाहत का,
तुमने कौन सा समझ लिया?
वो क्या जरा सा बदले,
तुमने तो...
हाँ ये उन दिनों की बात है!! (Remembering Childhood )
हाँ ये उन दिनों की बात है!! (Remembering Childhood )
हाँ ये उन दिनों की बात है,
जब पतंगों के साथ खुद भी लगते थे उड़ने
हाँ...
रंग सफ़ेद
उसके गोद में सर रख मैं लेटा था।।
वो प्यार में मशगूल थी शायद ,उसकी उंगलियां मेरे बालो में हरकतें कर रही थी कुछ ।।
और...