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विक्रमशिला और ब्रह्मपुत्र मेल अब डीजल इंजन के साथ ही आधा घंटा पहले पटना से लेकर मुगलसराय तक जाएगी। किऊल स्टेशन पर इन दोनों ट्रेनों में इलेक्ट्रिक इंजन नहीं लगाया जाएगा। किऊल में इंजन बदलने के कारण लंबी दूरी की इन ट्रेनों को 20 मिनट से 50 मिनट तक समय लग जाता था, जबकि नई व्यवस्था के तहत ट्रेनें पांच मिनट के निर्धारित ठहराव के बाद रवाना हो जाएंगी। इससे समय की बचत होगी और दोनों ही ट्रेनों के औसतन दो हजार रेलयात्रियों को राहत होगी।

इंजन बदलने का निर्धारित समय यूं तो 20 मिनट है, लेकिन अप लाइन में ट्रेनों के इंजन बदलने में 30 मिनट लग जाता है, जबकि डाउन की ट्रेनों को लगभग एक घंटे तक रोक दिया जाता है। भागलपुर से आनंद विहार को जाने वाली 12367 अप एवं 12368 डाउन विक्रमशिला एक्सप्रेस और 12055 अप एवं 14056 डाउन डिब्रूगढ़- दिल्ली ब्रह्मपुत्र मेल में किऊल में इंजन बदला जाता है। डीजल की जगह इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रिक के स्थान पर डीजल इंजन लगता है। नई व्यवस्था में अब इन दोनों ट्रेनों का इंजन मुगलसराय में बदला जाएगा।

यहां इंजन को काटने एवं जोड़ने में काफी समय लग जाता है। इससे यात्रियों के साथ रेलकर्मी भी परेशान रहते हैं। 80 जोड़ी से ज्यादा ट्रेनों के फेरे वाले किऊल स्टेशन पर पहले से ही ट्रेनों का ज्यादा दबाव है। ऊपर से इंजन बदलने के लिए ट्रेनों को 40 मिनट से लेकर एक घंटे तक रोकना समय की बर्बादी मानी गयी। शंटिंग लाइन एवं प्लेटफॉर्म की कमी की वजह से भी ट्रेनों को आउटर सिग्नल से लेकर प्लेटफॉर्म तक काफी समय तक रूकना पड़ता है।

किऊल जंक्शन के स्टेशन मैनेजर सोने लाल सोरेन ने बताया कि 12 अप्रैल से दोनों ट्रेनों में किऊल से इलेक्ट्रिक इंजन को जोड़ने एवं काटने का झंझट खत्म हो जाएगा। किऊल में इंजन बदलने में रेलवे की बढ़ रही परेशानी के कारण इन ट्रेनों में फिर से पुरानी व्यवस्था लागू की जा रही है।

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