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भारत की वर्तमान राजनीति में अपने बिहार की भूमिका

राजनीति क्या है ?

आज देश की स्तिथि कुछ ऐसी बन चूंकि है कि अगर कोई बड़ा अपराध होता है तो जनता सरकार पर उंगली उठाती है, सरकार के योजनाओं पर उंगली उठाती है और सरकार को राजनीति के कटघरे में खड़ा करती है। आखिर, राजनीति है क्या? देश की स्तिथि मे सुधार लाना, जनता के हित मे कार्य करना व निर्णय लेना ही राजनीति है पर, क्या आज की राजनीति ऐसी है या फिर शासन में पद प्राप्त करना ही वर्तमान की राजनीति है?

वर्तमान समय मे राजनीति को लोकतंत्र से जोड़कर देखा जा रहा है जिससे कि उसका मतलब ही बदल जाता है! आज के नेता ऐसी राजनीति करते हैं जिससे उनका वोट बैंक तैयार हो और वो सत्ता में आ सकें। फिर चुने हुए नेता अपने जनता से किये वादों को पूरा करने की कोशिश करते है। अन्तः राजनीति केवल सामाजिक सम्बंधो की अभिव्यक्ति है इसलिए सामाजिक व्यवस्था ही राजनीतिक का स्वरूप निर्धारित करती है। देश की राजनीति में बिहार का अहम भूमिका रही है।

बिहार की राजनीति का इतिहास

इतिहास से ही बिहार की राजनीति, जाति और धर्म के इर्द गिर्द घूमती आयी है। ऐसा माना जाता है कि देश का लोकतंत्र बिहार के वैशाली से जन्म लिया था। बिहार के राजनीतिक इतिहास को समझेने के लिए इसे दो भागों में बांटा जाता है। पहला कांग्रेस पार्टी का शासन (1947-1989) और दूसरा गैर कांग्रेसी पार्टी का शासन (1989-अब तक)।

कांग्रेस पार्टी का शासन

1947 से लेकर 1989 तक का ये 42 वर्षों का समय, जिसमे बिहार की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही। इन वर्षो में गैर कांग्रेसी बिहार में सिर्फ दो बार मुख्यमंत्री बने जिनका नाम श्री महामाया सिन्हा (1967, लगभग 1 साल) और श्री कर्पूरी ठाकुर (1970, लगभग 7 महीने , 1977, लगभग 18 महीने ) था।

बिहार के पहले मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी से ही बने थे जिनका नाम श्री कृष्ण सिंह था। श्री कृष्ण सिंह बिहार के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे और अंतिम मुख्यमंत्री कांग्रेस के डाक्टर जगन्नाथ मिश्रा थे। पिछले 27 सालों से कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री बिहार में नहीं बन पाया है।

गैर कांग्रेसी पार्टी का शासन

बिहार में गैर कांग्रेसी शासन को सबसे पहले आगाज़ किया कर्पूरी ठाकुर ने जो पहले नेता थे, जिन्होंने दलित और पिछड़े समाज के लिए आवाज़ उठाया। आजादी के बाद बिहार में सबसे बड़ा छात्र आंदोलन हुआ था जिसका नेतृत्व श्री जयप्रकाश नारायण ने किया और इस आंदोलन ने कई ऐसे राजनेता को जन्म दे दिया जो आज वर्तमान में बिहार की सत्ता की कमान संभाल रहें हैं। लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान का जन्म इसी आंदोलन से हुआ था। बिहार की सत्ता अब इन्हीं तीनों के इर्द-गिर्द घूमती है।

वर्तमान की बिहार की राजनीति

मौजूदा समय में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार हैं जबकि उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी हैं। नीतीश कुमार , सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध है। अभी जदयू एवं भाजपा की सरकार है जबकि इससे पहले नीतीश कुमार राजद एवं कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। जुलाई 2017 में नीतीश ने महागठबंधन को तोड़ते हुए आरजेडी का साथ छोड़ दिया था। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह सब कुछ अचानक से नहीं हुआ, बल्कि महीनों की सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। लालू प्रसाद यादव ने अबतक बिहार में 2689 दिनों का शासन किया है, जबकि नीतीश कुमार ने 3981 दिनों का।

अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू कर नीतीश ने केंद्र सरकार से खूब वाहवाही बटोरी। नीतीश कुमार ने 2 अक्टूबर 2017 यानी गांधी जयंती के दिन दहेज़ और बाल विवाह पर रोक लगाते हुए खोटा सिक्का नामक योजना का शुभारंभ किया जिसे बिहार की जनता ने सराहा है। नीतीश के अन्य योजना जैसे कन्या उत्थान योजना, सात निश्चय योजना जिसमें महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण, युवाओं के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, स्वयं सहायता भत्ता, विश्वविद्यालय और कॉलेजों में मुफ्त में वाईफाई की सुविधा, हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाना, हर गांव को पक्की सड़क और 2016 के बाद पांच साल में हरेक घर तक मुफ्त बिजली कनेक्शन पहुंचाने की बात शामिल है जो बिहार को आगे ले जाने में मददगार साबित हुई है। लेकिन बिहार में इन दिनों घट रही घटनाओं से बिहार शर्मशार है।

सुशासन राज में अपराध का स्तर इस कदर से बढ़ने की वजह से नीतीश कुमार के काम पर देश भर के लोगों ने सवाल किया। महिलाओं के साथ यौन शोषण का मामला, मुजफ्फरपुर रेप कांड जैसे केस ने विपक्ष को नीतीश कुमार पर बोलने का सीधा मौका दिया है।

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मुजफ्फरपुर रेप कांड को लेकर नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग तक कर चूंकि है। वहीं दूसरी ओर चारा घोटाला के 6 मामलों में से 4 मामलों में दोषी ठहराएं जाने वाले लालू यादव जेल की सज़ा भुगत रहे है। इन सब से साफ पता चलता है कि बिहार के दो बड़े और मुख्य नेता नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के सत्ता में दिन ठीक नही चल रहे है। एक ओर नीतीश कुमार के काम पर पूरा देश उंगली उठा रहा है तो वही लालू यादव जेल में है। लालू यादव के छोटे बेटे व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी बिहार की स्तिथि को देखकर नीतीश कुमार पर निशाना साधने का एक मौका नहीं छोड़ते है।

सरकार के काम के खिलाफ राजद आए दिन बिहार बंद का ऐलान करते है जिसका नेतृत्व तेजस्वी यादव खुद कर अपने समर्थकों की संख्या का अनुमान भी लगा लेते है। आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में सवाल यही उठ रहा है कि अगला बिहार सरकार कौन तेजस्वी यादव या नीतीश कुमार? आने वाले समय मे कोई भी सरकार रहे लेकिन बिहार की राजनीति से एक बात तो कतई नही निकल सकती और वो है धर्म की राजनीति और जातीय राजनीति। एक पार्टी की सरकार बनती है तो विपक्ष, धर्म की राजनीति का सहारा लेते है। किसी एक जाती और एक धर्म को समर्थन देकर अपनी स्तिथि को और और अधिक शक्तिशाली बनाने की राजनीति अपनायी जाती है।

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